देश और राज्यों को बचाने के लिए संघीय ढांचे की मज़बूती ज़रूरी: स्पीकर कुलतार सिंह संधवां
1 min readकहा, जिन संस्थाओं ने देश में संविधान और लोकतंत्र को मज़बूती प्रदान करनी थी, आज के समय में उनको ख़त्म कर दिया गया
शिवालिक पत्रिका, चंडीगढ़, पंजाब विधान सभा के स्पीकर स. कुलतार सिंह संधवां ने कहा है कि देश और राज्यों को बचाने के लिए संघीय ढांचे की मज़बूती बहुत ज़रूरी है। ‘‘पिंड बचाओ-पंजाब बचाओ’’ संस्था द्वारा केंद्रीय श्री गुरु सिंह सभा के सहयोग से ‘‘देश में फ़ैड्रलिज़्म-चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ’’ विषय पर करवाए गए सैमीनार के दौरान संबोधन करते हुए स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि आज के समय में जिस तरह का माहौल देश में बन गया है, तब संघीय ढांचे का मुद्दा हमारे लिए बहुत अहम हो गया है। उन्होंने कहा कि देश की सलामती के लिए और देश को ताकतवर होता देखने के लिए संघीय ढांचे की रक्षा करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि रक्षा करने का ज़िम्मा भी सदियों से पंजाब को उठाना पड़ा है। स्पीकर ने कहा कि पंजाब और बंगाल के लोगों ने हमेशा ही अन्याय के विरुद्ध आवाज़ बुलंद की है और अब भी करनी पड़ेगी। उन्होंने विशेष के रूप से कहा कि हमारे लिए संघीय ढांचे का सबसे बड़े मुद्दई शब्द गुरू श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी हैं, जहाँ प्रत्येक को बराबर की जगह एवं आदर दिया गया है। स. संधवां ने कहा कि देश को एकवाद की प्रणाली में नहीं रखा जा सकता, बल्कि इसकी ख़ूबसूरती विविधताओं में एकता की है। उन्होंने कहा कि देश में भाषाई, भौगोलिक और सांस्कृतिक आदि भिन्नताएँ हैं और इनको एक साथ एक ताकत के रूप में देखना संघीय ढांचे में ही संभव है। उन्होंने अफ़सोस जताया कि जिन संस्थाओं ने संविधान और लोकतंत्र को और अधिक मज़बूती प्रदान करनी थी, आज के समय में उनको ख़त्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश में जी.एस.टी. लाकर संघीय ढांचे को चोट पहुँचाई गई है। इसी तरह सी.ए.जी. के ऊपर आई.ए.एस. अधिकारी लगाकर संघीय ढांचे की भावना ख़त्म की जा रही है। एन्फोर्समैंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) बड़े कारोबारी गौतम अडानी की ओर देख तक नहीं रही, जबकि बाकी सबको निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश एक ऐसा शरीर है जिसको चलता रखने के लिए फ़ैडरलिज़्म रूपी नाडिय़ों के द्वारा ऑक्सीजन या खून की आपूर्ति करने की ज़रूरत है। सैमीनार को अन्य बुद्धिजीवियों ने भी संबोधन किया, जिनमें पूर्व संसद मैंबर डॉ. धर्मवीर गाँधी, विधायक सुखपाल सिंह खैहरा, पूर्व मीडिया सलाहकार श्री हरचरन बैंस, वरिष्ठ पत्रकार स. हमीर सिंह, किसान नेता स. रणजीत सिंह, स. मालविन्दर सिंह माली, डॉ. कुलदीप सिंह, प्रो. प्यारे लाल गर्ग आदि ने संघीय ढांचे संबंधी अपने विचार पेश किए।