कोई है, जो बेजुबानों की गंभीरता से कर रहा चिंता
गगरेट/सुखविंदर/16 अप्रैल/ बेशक उन बेजुबानों व निरीह वन्य प्राणियों के लिए गर्मी का मौसम किसी बड़ी आफत से कम नहीं होता है। फायर सीजन में जहां धार क्षेत्र में जंगल की आग का खतरा रहता है तो बढ़ते तापमान से क्षेत्र की खड्डें व जलस्त्रोत तक सूख जाते हैं। ऐसे में वन्य क्षेत्र में जंगली जानवर व पशु पीने के पानी के लिए दर दर भटकते हैं। लेकिन इन दिनों चिंतपूर्णी के जंगलों में अजीब नजारा देखने को मिल रहा है। कुछ मीटर की दूरी के बाद पेड़ों पर रंग बिरंगे सकोरे देखने को मिल रहे हैं। इनमें डाले गए पानी से पक्षी प्यास बुझा रहे हैं तो कुछ जगहों पर वाटर होल भी बनाए गए हैं। वाटर होल वन विभाग व कुछ समाजसेवियों ने बनाए हैं, लेकिन बड़ी संख्या में पेड़ों पर टंगे सकोरे किसने रखे हैं, इसके बारे में किसी को कोई पता नहीं है। तय है कि बिना किसी लोकप्रियता की चाह के कुछ पर्यावरण व प्रकृति प्रेमी यह नेक कार्य कर रहे हैं।
पशु पक्षियों को पीने का पानी उपलब्ध करवाने में वन विभाग भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। किन्नू, भद्रकाली,बधमाणा और लोहारा बेल्ट में पेड़ों पर सकोरे व वाटर होल में नियमित रूप से पानी डालने की व्यवस्था विभाग द्वारा की जा रही है। वन विभाग की भरवाईं रेंज के अंतर्गत 13 वन रक्षक और चार सहायक अधिकारी जहां जंगल की आग के ख़तरे और वन माफिया पर कड़ी नजर रखे हुए हैं तो कई मील का पैदल सफर करके वन्य प्राणियों के लिए पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। धार क्षेत्र का जलस्तर गर्मी के कारण लगातार कम हो रहा है। ऐसे में जंगली क्षेत्र में विचरण करने वाले तितर, मुर्गा, सांभर, मोर, सैल और चिड़िया की प्रजातियों के लिए पीने के पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है। कुछ दिन पहले तक पेड़ों पर लगाए गए सकोरे में और सड़क किनारे वाटर होल में भी पानी नहीं था, लेकिन वन्य प्राणी जरूर वहां थे। विभाग की टीम की नजर जब इन पानी के स्रोतों पर पड़ी तो इनमें सफाई करके पानी भी भरा गया। अब विभाग के निर्देशों के बाद सकोरों व वाटर होल में नियमित रूप से विभाग के कर्मचारी पानी डाल रहे हैं। वन विभाग के रेंज अधिकारी गिरधारी लाल ने बताया कि वन्य प्राणियों के लिए जंगलों में पीने के पानी के लिए स्थानीय लोग भी सहयोग करते हैं और अब विभाग की टीमें भी नियमित रूप से इन सकोरों व वाटर होल में पानी डालने का काम कर रही है।वन विभाग के फील्ड स्टॉफ को पानी का प्रबंध करने की जिम्मेदारी दी गई है और हर रोज चयनित स्थानों पर पानी डाला जा रहा है।