October 15, 2024

मिलेट्स खाएं भरपूर- रहे रोगों से दूर

मोटा अनाज खाना बंद कर देने से कई तरह के रोगों के साथ ही देश में कुपोषण भी बढ़ा

राज्य सरकारें किसानों को मोटे अनाज उगाने के लिए प्रेरित कर रही है

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। घरेलू और वैश्विक मांग पैदा करने और लोगों को पोषक आहार उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र को 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित करने का प्रस्ताव दिया था। अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 की समयावधि निश्चित कर कृषि मंत्रालय ने पूर्व में शुरू किए गए विभिन्न कार्यक्रमों को और आगे बढ़ाते हुए परंपरागत तथा पौष्टिक अनाजों को फिर से खाने के उपयोग में लाने बारे जागरूकता फैलाने की पहल की है।

मोटे अनाजों को बढ़ावा देना सरकार का लक्ष्य

भारत सरकार का लक्ष्य बाजरा और अन्य मोटे अनाजों को एक अंतरराष्ट्रीय वर्ष के दौरान एक जन आंदोलन बनाना है और भारत को मिलेट्स के लिए वैश्विक हब के रूप में स्थापित करना है। भारत दुनिया में बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। मिलेट्स जिन्हें मोटे अनाज भी कहा जाता है यह भारत, नाइजीरिया और अन्य एशियाई और अफ्रीकी देशों में उगाया जाता है। यह छोटा गोल और साबुत अनाज है जिसे बहुत कम पानी में उगाया जा सकता है। अधिकतर राज्य सरकारें किसानों को मोटे अनाज उगाने के लिए प्रेरित कर रही है और साथ ही थाली तक इसे पहुंचाने के लिए लोगों में जागरूकता भी फैलाई जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य है लोगों को मिलेट्स जैसे पोषक अनाजों के बारे में जागरूक करना। खासतौर पर उन स्थानों पर जहां गेहूं और चावल का प्रचलन ज्यादा है।

मोटे अनाजों की खेती के लिए सरकार दे रही सहायता

कुछ राज्यों में मिलेट्स की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और राज्य सरकारें उन किसानों को भी सहायता प्रदान कर रही है जो मिलेट्स की खेती करते हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने भी इन्हें बढ़ावा देने हेतु अनेकों सुविधाएं प्रदान की है। जैसे की मिलेट्स से बने उत्पादों का विकास और उन्हें विश्व भर के बाजारों में इन्हें प्रवेश मिल सके। भारत सरकार अपने ग्रामीण क्षेत्रों में मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने और उससे बने उत्पादों का विकास कर उन्हें विश्व भर में प्रवेश दिलाने के लिए मेहनत कर रही है।

कम पानी में उगता है मोटा अनाज

मोटे अनाजों के मामले में आत्मनिर्भर होने के बावजूद भारत में 60 के दशक में मिलेट्स का उत्पादन कम हुआ और उसकी जगह भारतीयों की थाली में गेहूं और चावल आ गए। 1960 के दशक में हरित क्रांति के नाम पर भारत के परंपरागत भोजन को हटा दिया गया और गेहूं को बढ़ावा दिया गया। मोटा अनाज खाना बंद कर देने से कई तरह के रोगों के साथ ही देश में कुपोषण भी बढ़ा है। मोटे अनाजों की फसल को उगाने के फायदे यह भी है कि इन्हें ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। यह उन स्थानों पर भी अच्छी पैदावार देते हैं जहां पानी कम मात्रा में होता है। ऐसी फसलें कम मेहनत में ही तैयार हो जाती है और सबसे बड़ी बात यह भी है कि मिलेट्स के उत्पादन में रसायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं होती।

विटामिन, मिनरल्स से भरपूर होते हैं मोटे अनाज

मिलेट्स में कैल्शियम, जिंक, आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फाइबर, विटामिन बी, विटामिन सी, के अलावा अन्य आवश्यक अनेकों पोषक तत्व मौजूद रहते हैं। यह त्वचा को भी जवां बनाए रखने में मददगार होते हैं।

मिलेट्स खाने से दूर होते हैं रोग

मिलेट्स शरीर में अम्लता को घटाकर क्षारीय रखते है जोकि कई बीमारियों की रोकथाम में सहायक सिद्ध होता है। यह डायबिटीज की रोकने में भी सक्षम है। अस्थमा, थायराइड, यूरिक एसिड, किडनी, लीवर के रोग, हृदय रोग, अग्नाशय से संबंधित रोगों में यह लाभदायक है। मिलेट्स पाचन तंत्र में सुधार करने में भी मदद करते हैं। इन्हें खाने से गैस, कब्ज, एसिडिटी जैसे पेट के रोग नहीं होते हैं। मिलेट्स एक संपूर्ण भोजन है जो हमारे शरीर को बीमारियों से ही नहीं बचाते बल्कि स्वास्थ्य भी प्रदान करते हैं।

अनाज को तीन श्रेणियों में रखा गया है

नकारात्मक अनाज: इसका लगातार सेवन करते रहने से भविष्य में कई तरह की बीमारियों की संभावना रहती है नकारात्मक अनाज में गेहूं, चावल मुख्य रूप से शामिल है।

तटस्थ अनाज यह मोटा अनाज कहलाता है। इसके सेवन से शरीर में न तो कोई बीमारी होती है और अगर कोई बीमारी हो तो वह ठीक होने लगती है। यह शरीर को स्वस्थ रखता है। यह अनाज ग्लूटेन मुक्त होता है। तटस्थ अनाजों में बाजरा, ज्वार, रागी और प्रोसो शामिल है।

सकारात्मक अनाज पॉजिटिव अनाज के अंतर्गत छोटे अनाज आते हैं। इन्हें सिरिधान्य भी कहा जाता है। जैसे कंगनी, सामा, सनवा कोदी और छोटी कंगनी।

तटस्थ और सकारात्मक अनाज को संयुक्त रूप से मिलेट्स कहा जाता है। सकारात्मक व तटस्थ अनाज कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। यह अनाज आकार में बहुत छोटे होते हैं व फाइबर से भरपूर होते हैं। इन्हें पकाने से पहले 6 से 8 घंटे पानी में भिगोकर रखना लाभदायक रहता है, ताकि इनके फाइबर नरम हो सकें।

भारत सरकार के मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के प्रयासों को आज दुनिया भर में सराहा जा रहा है और अनेक देशों में इन की खेती की जाने लगी है। आवश्यकता इस बात की है कि भारत के लोग भी गेहूं, चावल जैसे अनाजों पर निर्भरता कम करते हुए मिलेट्स यानी मोटे अनाजों को अपने खाने में शामिल करें व स्वस्थ जीवन की ओर आगे बढ़ें।

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