प्राइवेट अस्पताल का कारनामा, मृत घोषित किया व्यक्ति पीजीआई में निकला जिंदा
1 min readप्राइवेट अस्पतालों की लूट के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं जहां मरीजों को लूटने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाती। हाल ही में एक मामला होशियारपुर के एक निजी अस्पताल का सामने आया है जहां बहादुर सिंह नामक व्यक्ति की खांसी की शिकायत का इलाज कर रहे निजी अस्पताल में मरीज को वेंटीलेटर पर रख दिया और कुछ दिन बाद मरीज के परिजनों को कह दिया गया कि वेंटिलेटर से हटाने के बाद मरीज जिंदा नहीं बचेगा। घबराए परिजनों ने अस्पताल का बिल भरने के बाद मरीज को पीजीआई ले जाने का फैसला किया व अस्पताल पर वेंटिलेटर हटाने का दबाव बनाया ताकि मरीज को पीजीआई ले जाया जा सके। परिजन बहादुर सिंह को एंबुलेंस में डालकर चंडीगढ़ पीजीआई ले गए। रास्ते में ही मरीज को होश आ गया था। पीजीआई में डॉक्टरों ने मरीज को एक दिन के उपचार के उपरांत पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर घर वापस भेज दिया है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल ने उनसे मोटा बिल भरवाने के उपरांत कहा था कि वेंटिलेटर से हटते ही मरीज की मौत हो सकती है। परिजनों के अनुसार भी बिना वेंटीलेटर के ही बहादुर सिंह को एंबुलेंस में चंडीगढ़ ले गए थे जबकि निजी अस्पताल के डॉक्टर बार-बार यही कहते रहे कि वेंटिलेटर से हटाते ही मरीज की मौत हो सकती है। उधर अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज के परिजनों के आरोपों को पूरी तरह नकार दिया है व कहा है कि वेंटिलेटर पर अगर मरीज है तो उसे मृत कैसे घोषित किया जा सकता है? निजी अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि बहादुर नाम का उक्त मरीज पहले से ही हृदय रोग से पीड़ित है वह उसका हृदय 40 प्रतिशत ही काम कर रहा था। ऐसे में उसे वेंटिलेटर पर रखना जरूरी था। डॉक्टरों ने बहादुर सिंह के परिजनों के आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा है कि अगर उसे एक दिन यहां पर और रखते तो वह यहीं ठीक हो सकता था। बहादुर के परिजनों और पंचायत ने अस्पताल के सामने धरना शुरू कर दिया है व मामला मॉडल टाउन पुलिस तक पहुंच गया है।