जल विश्व जल दिवस पर कार्यशाला का आयोजन
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रघुनाथ शर्मा बेबाक़, जसूर : क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान केंद्र, जाच्छ के तत्वाधान में एक दिवसीय विश्व जल दिवस कार्यशाला का आयोजन शनिवार को किया गया। इस कार्यशाला में केंद्र के सह निदेशक डॉ विपिन गुलरिया ने मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिया इसके अलावा इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ राजेश कुमार कलेर, प्रोफेसर बागवानी ने अपना एक्सपोर्ट लेक्चर दिया। उपस्थित बागवानी विश्वविद्यालय नौणी के छात्रों एवं कमनाल सरकारी स्कूल के बच्चों ने भाग लिया। मुख्य वक्ता डॉक्टर राजेश कलेर जो कि क्षेत्रीय बागबान अनुसंधान केंद्र, जाछ में प्रधान वैज्ञानिक है ने संबोधित करते हुए बताया कि भारत की जनसंख्या आज 18 परसेंट के करीब विश्व की हो गई है और केवल मात्र चार प्रतिशत विश्व का फ्रेश वाटर हमारे को पीने के लिए उपलब्ध है और जिसमें अधिकतर जल वर्ष से प्राप्त होता है। उन्होंने उपस्थित उपस्थित जन समूह को यह भी बताया कि इस वर्ष का विश्व जल दिवस का मुख्य उद्देश्य ग्लेशियर का संरक्षण है क्योंकि भारत की अधिकतर नदियां जो की उत्तर भारत में बहती हैं उनके जल स्रोत ग्लेशियर हिमालय में उपस्थित हैं। ग्लेशियर समय के साथ व पर्यावरण बदलाव के कारण वह बड़ी गति से पिघल रहे हैं इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि यदि इसी प्रकार हम जंगलों का कटान करते रहे और पांच महत्वपूर्ण “ज” जिन में जल, जंगल, जमीन,जन और जीव जंतु है इनका संतुलन अगर बिगड़ तो परिस्थितियों बड़ी भयंकर होगी । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉक्टर विपिन गुलरिया ने बताया कि विश्व में मात्र 3 प्रतिशत जल ही पीने योग्य है जिसमें 2.5 प्रतिशत जल जो है वह नदियों और ग्लेशियरों में सम्मिलित है मात्र दशमलव 0.5% जल ही पीने योग्य है। अंधाधुंध औद्योगिकरण एवं पेस्टिसाइड के प्रयोग से आने वाले समय में यह 0.5 प्रतिशत जल भी प्रदूषित होने की कगार पर है ।जिससे की भयंकर बीमारियां एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं एवं जीव जंतुओं पर इसका कुप्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि डाइक्लोफिनेक दवाई के प्रयोग से पशुओं को खाने वाले गिद्धों की संख्या में कमी आई है। अतः विश्व इकोलॉजी का जो तना-बना है यदि उसको हमने सही ढंग से नहीं संभाला तो आने वाली समय में मनुष्य एवं जीव जंतुओं का इस धरती पर रहना संभव हो जाएगा इसलिए संयुक्त राष्ट्र ने लोगों के अंदर जागरण पैदा करने के लिए 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाने का संकल्प लिया है और हमें जल के संरक्षण के लिए अपने व्यक्तिगत व्यवहार में बदलाव करना पड़ेगा ताकि हमारी जल संबंधी ज़रूरतें कम से कम पानी से पूरी हो सके जैसे घर में जल का वेस्ट काम करना व्यर्थ बहता पानी को रोकना इत्यादि है। कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों ने जल संरक्षण से जीवन संरक्षण का महत्व भी अपने उपस्थित जनसमूह को समझाया।