जानें क्यों मनाया जाता है बाल दिवस?
1 min readविश्व में कहीं एक जून तो कहीं 20 नवंबर को मनाते हैं बाल दिवस
हर साल 14 नवंबर को पूरे भारत में बाल दिवस यानी चिल्ड्रन्स डे मनाया जाता है। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के मौके पर इस दिवस को मनाया जाता है। प्यार से बच्चे जवाहरलाल नेहरू को चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे। नेहरू जी को बच्चों से काफी प्यार था। वो बच्चों के साथ समय बीताना भी काफी पसंद करते थे।जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस को देश भर में बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसके पीछे कारण है कि बच्चों और उनकी मासूमियत का सम्मान करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में इस दिन खास कार्यक्रम आयोजित होते है। घरों में भी माता-पिता बच्चों के साथ बेहद प्यार से व्यवहार करते है।
14 नवंबर की तारीख स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के तौर पर दर्ज है। इस दिन को ‘बाल दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 14 नवंबर 1889 को जन्मे जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से खासा लगाव था और बच्चे उन्हें ‘‘चाचा नेहरू’’ कहकर पुकारते थे। भारत में 1964 से पहले तक बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था, लेकिन जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद उनके जन्मदिन अर्थात 14 नवंबर को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया गया। कई देशों में एक जून को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। कुछ देश संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुरूप 20 नवंबर को बाल दिवस मनाते हैं।
बाल दिवस की मूल रूप से 20वीं सदी की शुरुआत में हुई। इस दौरान बाल अधिकारों के लिए वैश्विक आंदोलन ने आकार लेना शुरू किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बच्चों की सुरक्षा, पालन-पोषण और उनके अच्छे जीवन के अधिकार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 1954 में सार्वभौमिक बाल दिवस की घोषणा की। यह उत्सव 1959 में ‘बाल अधिकारों की घोषणा’ और 1989 में ‘बाल अधिकारों पर सम्मेलन’ को अपनाने के उपलक्ष्य में 20 नवंबर को वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है।
भारत में बाल दिवस 14 नवंबर को हर वर्ष मनाया जाता है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बच्चों की भलाई के प्रति प्रतिबद्धता के सम्मान में मनाया जाता है। यह दिन शिक्षा, पोषण और सुरक्षात्मक वातावरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए सुरक्षित, स्वस्थ बचपन सुनिश्चित करने की आवश्यकता की याद दिलाता है। यह बच्चों के पालन-पोषण के महत्व पर जोर देता है, जो दुनिया के भविष्य के नेता हैं।