लापता लोगों को मृत घोषित करने की कम करेंगे अवधिः सुक्खू
शिमला : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्राकृतिक आपदा में लापता हुए लोगों को मृत घोषित करने की अवधि को कम का प्रयास किया जाएगा। अभी सात साल तक इंतजार करने के बाद ही ऐसे लापता लोगों को मृत घोषित किया जाता है। विधानसभा में विधायक नंदलाल के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सात साल की अवधि बहुत अधिक होती है। बीते वर्ष बादल फटने से कई लोगों की जान गई है।
इससे पूर्व राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि केंद्रीय एक्ट में ही सात साल तक इंतजार करने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पुलिस एफआईआर दर्ज होने के बाद लापता लोगों को मृत घोषित किया जाता है। हम भी प्रयास करेंगे कि हिमाचल में भी ऐसा हो सके। मंत्री ने बताया कि बीते दो वर्ष के दौरान आपदा के कारण 41 लोग लापता हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला मंडी में पावर कारपोरेशन के माध्यम से थानाप्लौन प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के साथ ही 300 मेगावाट का पंप स्टोरेज भी बनेगा। विधायक चंद्रशेखर के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऊहल परियोजना का पेन स्टोक फटा था। अब बैराज में पानी भरने का काम शुरू हो गया है। अक्तूबर तक इस शुरू करने की तैयारी है। परियोजनाओं से एक फीसदी राशि लाडा के तहत मिलनी चाहिए। कहा कि सरकार ने तय किया है कि उम्रभर के लिए कोई भी बिजली प्रोजेक्ट नहीं दिया जाएगा।
40 वर्ष की अवधि के बाद सरकार के अधीन परियोजनाएं आएंगी। धौलासिद्ध, लुहरी और सुन्नी परियोजना को लेकर पूर्व सरकार ने प्रदेश के हित बेचे। हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बहता पानी और पहाड़ ही हमारा धन है। इसी मामले पर भाजपा विधायक अनिल शर्मा ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेशकों के नहीं आने के चलते ही पूर्व सरकार ने पहले 12 साल के लिए निशुल्क बिजली देने में छूट दी थी।
विधायक संजय रतन ने बागवानी विश्वविद्यालय नौणी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब शिमला स्थित हिप्पा में प्रशिक्षण निशुल्क हो सकता है तो गुजरात क्यों जाया जा रहा है। सिंगल टेंडर कर कंपनी का चयन करने पर भी उन्होंने सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वित्त विभाग की मंजूरी लिए बिना विदेशी दौरे भी बंद होने चाहिए।