हिमाचल में रेलवे विकास की अनदेखी को लेकर प्रदेश कांग्रेस सरकार पर संसद में गरजे अनुराग ठाकुर
1 min readनई दिल्ली : संसद के मॉनसून सत्र में एक बार फिर हमीरपुर से बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने पुरजोर ढंग से हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार की नाकामी उजागर की। अनुराग ठाकुर ने कहा कि वीरभूमि हिमाचल के लिए रेलवे लाइफ लाइन है क्योंकि पहाड़ी राज्य में यातायात का सबसे सुरक्षित और सक्षम तरीका यही है।
अनुराग ठाकुर ने हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार की अक्षमता की वजह से देवभूमि हिमाचल के लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । अनुराग ठाकुर ने कहा , ‘हिमाचल के लिए रेलवे की बहुत बड़ी आवश्यकता है। UPA के समय हिमाचल को औसतन 108 करोड़ रुपए मिलते थे लेकिन अब NDA सरकार में ये 25 गुना ज्यादा बढ़ाकर इस बार रेलवे के क्षेत्र में 2700 करोड़ रुपए हिमाचल प्रदेश को दिया गया है। प्रदेश में चार अमृत स्टेशन भी बनने जा रहे हैं। लेकिन जब कांग्रेस केंद्र में थी तब भी हिमाचल की अनदेखी करती थी और अब प्रदेश में इनकी सरकार है तो वहां पर भी जो अपने हिस्से का पैसा डालना है वो नहीं देती। जिसके कारण हिमाचल में रेलवे के विकास पर ग्रहण लगा है।’
अनुराग ठाकुर ने संसद में बताया कि केंद्र सरकार ने हिमाचल में रेलवे के विकास के लिए किन परियोजनाओं में कितना पैसा दिया है। उन्होंने कहा , “केंद्र ने 1700 करोड़ रुपए भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल लाइन के लिए दिया, 500 करोड़ रुपए नंगल-ऊना-तलवाड़ा रेलवे लाइन के लिए दिया,. 300 करोड़ चंडीगढ़-बद्दी रेलवे लाइन के लिए दिया। लेकिन राज्य की कांग्रेस सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने के बावजूद , जनता से पैसे लेने के बावजूद भी अपना हिस्सा नहीं दे रही है। जो बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है।”
हमीरपुर से रिकॉर्ड पांचवी बार सांसद बने अनुराग ठाकुर ने संसद में पीएम विश्वकर्मा योजना को लेकर भी केंद्र सरकार की जबरदस्त तारीफ करते हुए इसे गरीबों, वंचितों, शोषितों और महिलाओं के लिए विकास का सबसे बड़ा हथियार बताया। अनुराग ठाकुर ने सदन में कहा,”प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना देश के वंचित, शोषित, और पिछड़े वर्ग के लोगों के विकास में बहुत बड़ा योगदान देने वाली योजना है। इस योजना से महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत बढ़ा है जिससे उन्हें बहुत बड़ा फायदा मिलेगा। ”
संसद में MSME सेक्टर से जुड़े सवाल पूछने के दौरान अनुराग ठाकुर ने देश की प्रगति में हर वर्ग को जोड़ने के लिए इस सेक्टर द्वारा किए गए कार्यों की भी जमकर तारीफ करते हुए कहा , “MSME के महत्व को समझकर मोदी सरकार ने शानदार काम किया है। चाहे वो रोजगार सृजन कार्यक्रम हो, क्रेडिट गारंटी योजना हो या क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम हो या टेक्नॉलजी पार्क बनाने की बात हो, क्रेडिट लिंकेज को कई गुना बढ़ाया गया है जिसके लिए मैं सरकार को बहुत बहुत बधाई और साधुवाद देता हूं। ”इसके अलावा अनुराग ठाकुर ने MSME सेक्टर में UPA और NDA के 10-10 साल के शासन में विकास के आंकड़े भी MSME मंत्री जीतनराम मांझी से मांगे , साथ ही हिमाचल और खासकर हमीरपुर में MSME मंत्रालय की चल रही योजनाओं, कार्यक्रमों और भविष्य में किए जाने वाले कामों को लेकर सवाल पूछा। साथ ही उन्होंने ये भी पूछा कि हमीरपुर में ग्रामीण और क्षेत्रवार स्तर पर संभावनाओं और स्किल को बढ़ाने के साथ साथ वित्तीय विकास के लिए सरकार क्या मौके उपलब्ध करा रही है।
जवाब में एमएसएमई मंत्री श्री जीतन राम माँझी ने बताया कि” वित्त वर्ष 2022-23
– एमएसएमई के कार्यनिष्पादन में संवृद्धि और गतिवर्धन (रैंप) कार्यक्रम के तहत कार्यनीतिक निवेश प्लान (एसआईपी) की तैयारी के लिए 5 करोड़ जारी किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, हिमाचल प्रदेश को एसआईपी के तहत परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु दिनांक 13.03.2024 को 109.34 करोड़ रुपए अनुमोदित किए गए थे और 43.736 करोड़ रुपए की पहली किस्त जारी कर दी गई है।
– सूक्ष्म और लघु उद्यम-क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) के तहत, सामान्य सुविधा केंद्रों (सीएफसी) और अवसंरचना विकास (आईडी) परियोजनाओं की स्थापना के द्वारा एमएसएमई क्लस्टरों को सहायता प्रदान की जाती है। वर्तमान में, हिमाचल प्रदेश राज्य में एक सीएफसी 4 आईडी परियोजनाएं चल रही हैं।
– प्रौद्योगिकी केंद्र प्रणाली कार्यक्रम (टीसीएसपी) के तहत, एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार ने 102 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ बद्दी, हिमाचल प्रदेश में एक एमएसएमई प्रौद्योगिकी केंद्र (टीसी) की स्थापना की है। बद्दी में प्रौद्योगिकी केंद्र (टीसी) को दिनांक 14.02.2024 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था। यह केंद्र उत्पादन, प्रशिक्षण, परामर्शी सेवाओं और सामान्य इंजीनियरिंग क्षेत्र में विशेषकर कौशल एवं प्रौद्योगिकीय आवश्यकताओं के माध्यम से एमएसएमई इको-सिस्टम में सहायता प्रदान करता है।
सरकार ने हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले सहित, देश भर में महिला उद्यमियों सहित एमएसएमई को सहायता प्रदान करने के लिए कई पहलें शुरू की हैं। इन पहलों में कुछ निम्नानुसार हैं:
(i) क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) के माध्यम से विभिन्न श्रेणी के ऋण के लिए 85% तक के गारंटी कवरेज के साथ एमएसई को 500 लाख रुपए की सीमा तक कोलेटरल मुक्त ऋण (दिनांक 01.04.23 से प्रभावी)।
(ii) आत्म निर्भर भारत फंड के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपए का इक्विटी समावेशन। इस स्कीम में भारत सरकार से 10,000 करोड़ रुपए की पूंजी के लिए प्रावधान है।
(iii) एमएसएमई के वर्गीकरण के लिए नया संशोधित मानदंड।
(iv) व्यवसाय की सुगमता के लिए “उद्यम पंजीकरण” के माध्यम से एमएसएमई का नए सीरे से पंजीकरण।
(v) 200 करोड़ रुपए की खरीद के लिए कोई वैश्विक निविदा नहीं होगी।
(vi) दिनांक 02.07.2021 से खुदरा और थोक व्यापारों का एमएसएमई के रूप में समावेशन ।
(vii) एमएसएमई की स्थिति में उर्ध्वगामी परिवर्तन की स्थिति में 3 वर्षों के लिए गैर-कर लाभ प्रदान किया गया है।
(viii) अगले 5 वर्षों में 6,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ एमएसएमई के कार्यनिष्पादन में संवृद्धि और गतिवर्धन (रैम्प) कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
(ix) श्रम और रोजगार मंत्रालय के राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) और उद्यम पोर्टल का एकीकरण जिसके परिणामस्वरूप पंजीकृत एमएसएमई एनसीएस पर रोजगार के इच्छुक व्यक्तियों की तलाश कर सकते हैं।
(x) विवाद से विश्वार-। के तहत एमएसएमई को काटी गई कार्यनिष्पादन प्रतिभूति, निविदा प्रतिभूति और लिक्विडेटेड क्षति का 95% वापस करके राहत प्रदान की गई है। अनुबंधों के कार्यनिष्पादन में चूक के कारण प्रतिबंधित एमएसएमई को भी राहत प्रदान की गई है।
(xi) प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण (पीएसएल) के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों (आईएमई) को औपचारिक दायरे में लाने के लिए उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म (यूएपी) की शुरुआत की गई है।
(xii) 18 व्यापारों में कार्यरत पारंपरिक कारीगरो और शिल्पकारों को लाभ प्रदान करने के लिए दिनांक 17.09.2023 को ‘पीएम विश्वकर्मा’ स्कीम की शुरुआत की गई है।
(घ): सरकार ने हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले सहित, पूरे देश में, महिला उद्यमियों सहित एमएसएमई को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ निम्नानुसार हैं:
(i) पीएमईजीपी एक प्रमुख क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी आधारित कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और ग्रामीण/शहरी बेरोजगार युवाओं की सहायता द्वारा गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से स्व-रोजगार के अवसरों का सृजन करना है। इस स्कीम के तहत महिला उद्यमियों को गैर- विशेष श्रेणी (अधिकतम 25%) की तुलना मे उच्च सब्सिडी (35%) प्रदान की जा रही है।
(ii) सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत महिला उद्यमियों को सहायता प्रदान करने के लिए दिनांक 01.12.2022 से महिला उद्यमियों के लिए 2 प्रावधानों की शुरुआत की है। ये निम्नानुसार हैं: क. वार्षिक गारंटी शुल्क में 10% रियायत; और
ख. अन्य उद्यमियों के लिए 75% की तुलना में 85% तक का 10% अतिरिक्त गारंटी कवरेज।
(iii) महिला उद्यमियों को लाभान्वित करने के लिए, वर्ष 2018 में सार्वजनिक खरीद नीति में संशोधन किया गया, जिसके तहत केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/सीपीएसयू को अपनी वार्षिक खरीद का कम से कम 3% महिला उद्यमियों से खरीदना अनिवार्य कर दिया गया है।
(iv) खरीद एवं विपणन सहायता स्कीम के तहत व्यापार मेलों में महिला उद्यमियों की सहभागिता के लिए अन्य उद्यमियों को दी जाने वाली 80% सब्सिडी की तुलना में 100% सब्सिडी प्रदान की जाती है। महिलाओं के बीच उद्यमिता का प्रोत्साहन करने के लिए, एमएसएमई मंत्रालय कॅयर विकास योजना के (v) तहत ‘कौशल उन्नयन और महिला कॅयर योजना’ का कार्यान्वयन करता है जोकि एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम है और जिसका उद्देश्य कॅयर क्षेत्र में कार्यरत महिला कारीगरों का कौशल विकास करना है।
(vi) दिनांक 05.08.2024 तक ‘पीएम विश्वकर्मा’ स्कीम के तहत महिला कारीगरों का नामांकन, स्कीम के अंतर्गत किए गए कुल नामांकन का 75.45% है।.
(vii) एमएसएमई मंत्रालय ने दिनांक 27.06.2024 को “यशस्विनी” नामक एक पहल की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य टियर-।। और टियर-।।। शहरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अभियानों का आयोजन करना है, ताकि महिला उद्यमियों की क्षमता का निर्माण करके उन्हें सशक्त बनाया जा सके।