December 21, 2025

माता कुहा देवी मंदिर में आज श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ कथा का शुभारंभ

दौलतपुर चौक : गगरेट विधानसभा क्षेत्र के दौलतपुर चौंक के माता कुहा देवी मंदिर में आज श्री मद्भागवत कथा का शुभारंभ हुआ जिसमें प्रसिद्ध कथावाचक भक्ति प्रसाद गिरी जी महाराज दगड़ी (हमीरपुर) ने श्रीमद्भागवतकथा के महात्म्य को सुनाते हुए कहा कि जब भी परमात्मा का गुणानुवाद इस पृथ्वी पर होता है या देवतागण भी पृथ्वी पर जन्म लेने के लिए लालायित रहते हैं। उन्होंने कहा कि भागवत पुराण कथा को श्रवण करने वाले भक्त निश्चित रूप से मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि सभी पुराणों और ग्रंथों में महापुराण की संज्ञा पाने वाला श्री मद्भागवत पुराण है।
इस अवसर पर कथावाचक ने गौकर्ण और धुंधकारी की कथा का रसपान कराया। कथावाचक ने बताया कि तुंगभद्रा नदी के तट पर आत्मदेव नामक एक व्यक्ति रहता था। उसकी पत्नी का नाम धुंधली था।वह झगड़ालू किस्म की थी। संतान न होने के कारण पति परेशान रहता था। बुढ़ापे में संतान का मुख देखने को नहीं मिलेगा तो पिंडदान कौन करेगा। कथावाचक ने आगे बताया कि आत्म देव दुखी मन से आत्महत्या करने के लिए कूदने ही वाला था तभी ऋषि ने उसे बचा लिया और उसके आत्महत्या का कारण पूछा तो उसने बताया कि मेरे कोई संतान नहीं है। यह सुनकर ऋषि ने उसे फल सौंपकर कहा कि तुम यह फल अपनी पत्नी को खिला देना, इससे तुम्हें संतान की प्राप्ति होगी। उन्होंने कहा कि तब आतमदेव ने फल अपनी पत्नी को दिया, तब आत्म देव की पत्नी ने फल खुद न खाकर गाय को खिला दिया। कुछ दिनों के बाद धुंधली को उसकी बहन ने बच्चा दे दिया। इसके बाद संतान को पाकर आत्म देव बड़ा खुश हुआ। उन्होंने कहा कि बच्चे का नाम धुंधकारी रख दिया। इसके बाद गाय ने एक बछड़े को जन्म दिया जो मनुष्याकार था पर उसके कान गाय के समान थे।उसका नाम गोकर्ण रख दिया। कथा व्यास ने बताया कि गोकर्ण और धुंधकारी दोनों गुरुकुल गए। इसी बीच धुंधकारी नशेड़ी, चोरी आदि करने लगा। धुंधकारी मरने के बाद भूत-प्रेत बन गया। गोकर्ण त्रिकाल संध्या किया करता था। तभी स्वप्न में धुंधकारी ने गोकर्ण से कहा कि मुझे इस प्रेतयोनी से मुक्ति दिलाओ। तभी सूर्य नारायण भगवान से पूछते हैं कि इसके लिए क्या उपाय है। तभी सूर्य नारायण ने कहा कि तुम सात गांठ बांस मंगाओ और भागवत कथा का आयोजन करो। कथा व्यास ने बताया कि भागवत की कथा करवाने से प्रेत योनि में गए हुए व्यक्ति का भी उद्धार कर सकती है। इसलिए भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। कथा उपरांत भंडारे का आयोजन भी किया गया।

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