घनारी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में श्री कृष्ण रूक्मिणी विवाह के प्रसंग में पहुंचे पूर्व विधायक राजेश ठाकुर
गगरेट/सुखविंदर/28 मार्च/ गगरेट उपमंडल के मां कामाख्या कामाक्षी देवी मंदिर कमेटी के सदस्यों द्वारा करवाई जा रही श्रीमद् भागवत कथा कृषि कार्पोरेट सोसायटी घनारी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिवस पर भगवान श्री कृष्ण और रूक्मिणी के विवाह का प्रसंग बड़ी ही सहजता से सुनाया गया। कथा व्यास गणेश दत शास्त्री जी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह भी दिखाया था कि श्री राधा और वह दो नहीं बल्कि एक है। लेकिन देवी राधा के साथ श्री कृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि देवी राधा के बाद भगवान श्री कृष्ण की प्रिय देवी रूक्मिणी हुई। उन्होंने कहा कि देवी रूक्मिणी और श्री कृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी है। इसी कहानी से प्रेम की नई परम्परा शुरू हुई। उन्होंने कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि रूक्मिणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी की अवतार थी। रूखमणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्री कृष्ण के रूप, सौंदर्य और गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्री कृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। उन्होंने कहा कि रूक्मिणी का बड़ा भाई रूक्मी श्री कृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से करना चाहता था। उन्होंने कहा कि जब रूक्मिणी को इस बात का पता चला तो उन्होंने एक बाह्मण संदेशवाहक द्वारा श्री कृष्ण के पास अपना परिचय संदेश भिजवाया। उन्होने अपने संदेश में कहा कि वह आपको पति रूप में स्वीकार कर चुकी हैं।वह आपके अलावा किसी और पुरुष को पति रूप में स्वीकार नहीं करेगी। तब श्री कृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्रों को युद्ध में परास्त करके रूक्मिणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए । तत्पश्चात् श्री कृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मिणी से विवाह किया। इस मौके पर श्रद्धालुओं को धार्मिक भजनों पर नृत्य करते हुए देखा गया। इस मौके पर गगरेट विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक राजेश ठाकुर भी पहुंचे। उन्होंने वहां कथा का आंनद लिया। कथा उपरांत भंडारे का आयोजन भी किया गया।