December 22, 2025

हींग- स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ सेहत के लिए भी है लाभदायक

हींग के औषधीय गुणों के कारण इसे सीमित मात्रा में ही लेने की सलाह दी जाती है।

भारत में ऐसाफेटिडा को हींग के नाम से जाना जाता है।

दुनिया के बहुत से हिस्सों में हींग (ऐसाफेटिडा) को खाने का स्वाद बढ़ाने के वाले तत्व के रूप में और विभिन्न प्रकार की बीमारियों का उपचार करने के लिए किया जाता है। हींग एंबेलीफेरा फैमिली के फेरूला पौधे के तनों में बनती है। यह पौधे मध्य एशिया,अफगानिस्तान, इराक, तुर्की, ईरान, यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में पाए जाते हैं। भारत में ऐसाफेटिडा को हींग के नाम से जाना जाता है।

फिरूला के पौधे गाजर के आकार की जड़ें बनाते हैं जिनके ऊपरी हिस्से की चौड़ाई चार से पांच साल में लगभग 15 सेंटीमीटर तक हो जाती है और इसी से हींग प्राप्त की जाती है। हींग की गंध तीखी होती है और अपनी तीक्ष्ण गन्ध और स्वाद के कारण ही यह अधिकतर भारतीय व्यंजनों में डाला जाता है। हींग का उपयोग मांस, अचार, दालों सहित अनेक प्रकार के व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने वाले मसाले के रूप में किया जाता है। खाने का स्वाद बढ़ाने के अलावा भारत में हींग को काली खांसी, आंतों में बैक्टीरिया, अल्सर, पेट फूलना, कमजोर पाचन, पेट दर्द जैसी बीमारियों की स्थिति में भी प्रयोग किया जाता है। हींग पेट से जुड़ी कई तरह की बीमारियों को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा भी कई अन्य प्रकार की बीमारियों को ठीक करने में हींग का प्रयोग किया जाता है।

बीमारियों के उपचार में हींग

हींग एंटी कैंसर एजेंट के रूप में भी कार्य करता है। इसके साथ-साथ हींग डायबिटीज (शुगर) की स्थिति में रक्त से शुगर की मात्रा कम करने में भी सहायक है। इसका उपयोग डायबिटीज के रोगियों के ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद करता है।

हींग को शरीर के वजन, असामान्य बसा के आकार को कम करने में सहायक माना जाता है। इसे डायबिटीज के कारण होने वाले मोटापे के उपचार में भी सहायक के तौर पर जाना जाता है।

हींग में पर्याप्त मात्रा में एंटीबैक्टीरियल, एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीवायरस गुण होते हैं इसी कारण यह स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। अगर आप एक चुटकी हींग का सेवन रोज करते हैं तो आप कई बीमारियों से दूर रह सकते हैं।

हींग पाचन क्रिया को तेज करता है जिसके कारण लार अधिक बनती है और पाचन की गतिविधि में वृद्धि होती है। यह पित्त के प्रवाह को तेज कर पेट में एसिड के श्राव को बढ़ाता है। अग्नाशय और छोटी आंत में पाचन एंजाइमों की गतिविधि को तेज कर आहार को पचाने में सहायता करता है। यह पेट में अल्सर बनने की क्रिया को नियंत्रित करने में भी सहायक साबित हुआ है।

गैस बनने की समस्या में हींग का उपयोग

हींग को भूनकर इसका उपयोग पेट में गैस के विकारों से निपटने के लिए किया जाता है। पेट की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए चुटकी भर हींग का सेवन खाली पेट करना लाभदायक माना जाता है।

एसिडिटी में हींग और घी को मिलाकर नाभि में लगाने से एसिडिटी की समस्या को कम करने में मदद मिलती है।

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सावधानियां

गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान हींग का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह मासिक धर्म चक्र को प्रभावित करता है और गर्भपात की संभावना को बढ़ा देता है। इसके अलावा हींग के इस्तेमाल से भ्रूण का हीमोग्लोबिन ऑक्सीकृत हो जाता है जबकि व्यस्क हीमोग्लोबिन में ऐसा नहीं होता है। बच्चों को हींग की दवा नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि इससे मेथीमोग्लोबिनेमिया हो सकता है।

रक्तचाप की समस्या वाले वालों को हींग का ज्यादा सेवन करने से बचना चाहिए। हींग रक्तचाप में उतार चढ़ाव ला सकता है।

हींग के औषधीय गुणों के कारण इसे सीमित मात्रा में ही लेने की सलाह दी जाती है। अधिक मात्रा में लेने से मुंह में सूजन और पेट संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है जिनमें पेट फूलना और दस्त लगना शामिल है।

-डॉ ईश्वर चंद्र सरदाना

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