एक ने दुष्कर्म किया, फिर भी सभी को मिलेगी सजा: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ ने गैंगरैप (धारा 376(2)(ग़) आईपीसी) के एक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि यदि साझा इरादा सिद्ध हो जाए, तो केवल एक आरोपी द्वारा दुष्कर्म का कृत्य करने पर भी सभी शामिल व्यक्तियों को गैंगरैप के लिए दोषी ठहराया जा सकता है।
यह टिप्पणी मध्य प्रदेश के 2004 के एक महिला किडनैपिंग एवं गैंगरैप मामले में की गई, जिसमें दो आरोपियों राजू व जलंधर कोल पर मुकदमा था। घटना 2004 जून में एक विवाह समारोह से लौट रही महिला का अपहरण कर, उसे विभिन्न स्थानों पर अवैध बंदी बनाकर गैंगरैप करने की थी। पीड़िता ने बताया कि आरोपियों ने साझा मंशा से यह अपराध किया। ट्रायल कोर्ट ने दोनों आरोपियों को गैंगरैप, अपहरण और अवैध बंदीकरण के आरोप में दोषी ठहराते हुए राजू को आजीवन कारावास, और जलंधर कोल को 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को अपरिवर्तित रखा। इसके बाद राजू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 376(2)(ग़) में एक से अधिक ने साझा इरादे से अपराध में भाग लिया हो, तो यह साबित करने की आवश्यकता नहीं कि प्रत्येक व्यक्ति ने दुष्कर्म किया; एक आरोपी द्वारा किया गया दुष्कर्म सभी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त है। कोर्ट ने राजू की अपील खारिज कर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का निर्णय बरकरार रखा।
इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि सामूहिक अपराध में व्यक्तिगत कृत्य से अधिक साझा इरादे का महत्व है, जिससे कानून अपराधियों के सामूहिक गिरोह पर भी सख्ती से कार्रवाई कर सकेगा।
