December 22, 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान पूरा होने के बाद अपने विचार रखे

अयोध्या: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री रामजन्म भूमि मंदिर में श्री रामलला के नये विग्रह की प्राणप्रतिष्ठा के बाद कहा कि राम मंदिर समाज में वैमनस्य की आग नहीं बल्कि शांति, धैर्य, सद्भाव एवं समन्वय का प्रतीक है तथा आज श्री रामलला के साथ ही विकसित भारत के संकल्प की भी प्राण प्रतिष्ठा हुई है जिन्हें अब हमें नित्य परिश्रम, पराक्रम, पुरुषार्थ, समर्पण का प्रसाद चढ़ाना होगा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मोदी मंदिर परिसर में मौजूद लोगों के सामने 11 दिन का व्रत तोड़ा। उसके बाद उन्होंने करीब 35 मिनट का भाषण दिया। इस दौरान 114 बार नाम का राम लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान पूरा होने के बाद अपने विचार रखे। उन्होंने अपने भाषण में कहा, ‘कल मैं श्रीराम के आशीर्वाद से धनुषकोडी में रामसेतु के आरंभ बिंदु अरिचल मुनई पर था। जिस घड़ी प्रभु राम समुद्र पार करने निकले थे, वो एक पल था जिसने काल चक्र को बदला था। उस भावमय पल को महसूस करने का मेरा विनम्र प्रयास था। वहां पर मैंने पुष्प वंदना की। वहां मेरे भीतर एक विश्वास जगा कि जैसे उस समय कालचक्र बदला था, उसी तरह अब कालचक्र फिर बदलेगा और शुभ दिशा में बढ़ेगा।

पीएम मोदी द्वारा कालचक्र शब्द के प्रयोग के कई मायने हैं क्योंकि कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संकतों की भाषा में बड़े-बड़े संदेश देते हैं। अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो मोदी के महत्वपूर्ण संदेश परिणाम तक पहुंचते ही हैं। तो सवाल है कि आखिर पीएम मोदी कालचक्र बदलने का विश्वास जाहिर कर क्या संदेश देना चाहते हैं? क्या मथुरा और काशी के दिन भी बहुरने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में भगवान राम से क्षमा भी मांगी। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि मैं आज प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ, त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक यह कार्य कर नहीं पाए। आज वह कमी पूरी हुई है। मुझे विश्वास है कि प्रभु श्री राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे। पीएम ने कहा कि प्रभु राम हमें अवश्य क्षमा करेंगे, हम इतनी सदियों से यह काम नहीं कर पाए। मोदी ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के बाद संतों का आशीर्वाद लेने के बाद उपस्थित भारत की करीब 150 संत परंपराओं के धर्माचार्यों, साधुओं, विद्वानों तथा विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य आगन्तुकों को संबोधित किया। मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरि और महासचिव चंपत राय मौजूद थे।उन्होंने कहा, “राम लोक की स्मृतियों में, पर्व से लेकर परम्पराओं में, सर्वत्र समाये हुए हैं। हर युग में लोगों ने राम को जिया है। हर युग में लोगों ने अपने-अपने शब्दों में, अपनी-अपनी तरह से राम को अभिव्यक्त किया है। और ये रामरस, जीवन प्रवाह की तरह निरंतर बहता रहता है। प्राचीन काल से भारत के हर कोने के लोग रामरस का आचमन करते रहे हैं। रामकथा असीम है, रामायण भी अनंत हैं। राम के आदर्श, राम के मूल्य, राम की शिक्षाएं, सब जगह एक समान हैं।”

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