पंजाब बायोटेक्नोलॉजी इनक्यूबेटर में पानी का वायरोलॉजिकल परीक्षण शुरू: मीत हेयर
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चंडीगढ़, राज्य के निवासियों को स्वच्छ वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता के अनुरूप, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण विभाग ने पंजाब बायोटेक्नोलॉजी इनक्यूबेटर (पीबीटीआई) पानी का वायरोलॉजिकल परीक्षण शुरू कर दिया है। विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने बताया कि पानी की जांच के लिए वायरोलॉजिकल टेस्टिंग शुरू कर दी गई है। बारिश के मौसम में हैजा, टाइफाइड, हेपेटाइटिस (हेपेटाइटिस ए और ई) और डायरिया जैसी जलजनित बीमारियाँ आम हैं, यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों से पंजाब में हेपेटाइटिस ए और ई के कारण होने वाली जलजनित बीमारियाँ बढ़ रही हैं। हेपेटाइटिस ए पांच साल से कम उम्र के बच्चों में और हेपेटाइटिस ई गर्भवती महिलाओं में पाया जाता है। मीत हेयर ने आगे बताया कि परीक्षण की शुरुआत में एस.ए.एस. नगर, रूपनगर, लुधियाना और मुक्तसर के 200 पेयजल नमूनों पर किए गए एक अध्ययन में 10 प्रतिशत में एमएस-2 फेज की उपस्थिति पाई गई। वर्तमान में, विभिन्न वायरस के लिए पानी के नमूनों का विश्लेषण किया जा रहा है। हेपेटाइटिस पर विचार करते समय वायरस-दूषित पानी की जांच भी बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। भारतीय पेयजल मानकों के अनुसार, पानी में एमएस-2 की उपस्थिति को वायरोलॉजिकल संदूषण का संकेतक माना जाता है। गौरतलब है कि पी.बी.टी.आई एक बहु-क्षेत्रीय उच्च स्तरीय विश्लेषणात्मक, पंजाब का पहला एनएबीएल। मान्यता प्राप्त सुविधा जिसने पीने के पानी में वायरस स्क्रीनिंग एमएस-2 के लिए सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया है।