ट्रंप ने फिर दिखाए ग्रीनलैंड पर कब्जे के इरादे
रूस और चीन की बढ़ी टेंशन
नई दिल्ली, 20 जनवरी 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड को लेकर अपने विस्तारवादी इरादों के संकेत दिए थे। अब एक बार फिर ट्रंप ने ग्रीनलैंड को अमेरिका में शामिल करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए इस आर्कटिक द्वीप के लिए विशेष दूत की नियुक्ति कर दी है। इस फैसले से डेनमार्क और ग्रीनलैंड में नाराजगी देखने को मिल रही है।
ट्रंप का कहना है कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ग्रीनलैंड बेहद अहम है। उन्होंने दावा किया कि ग्रीनलैंड के आसपास रूसी और चीनी जहाजों की बढ़ती गतिविधियां अमेरिका के लिए खतरा बन सकती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रंप ने लुइसियाना के गवर्नर जेफ लैंड्री को ग्रीनलैंड का विशेष दूत नियुक्त किया है, जो इस मिशन की जिम्मेदारी संभालेंगे।
इस कदम के बाद डेनमार्क और ग्रीनलैंड ने अमेरिका की तीखी आलोचना शुरू कर दी है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि ग्रीनलैंड खनिज संसाधनों से समृद्ध है और इसका रणनीतिक महत्व बेहद बड़ा है। अमेरिका ग्रीनलैंड को अपने नियंत्रण में लेकर चीन पर खनिजों के लिए निर्भरता कम करना चाहता है। साथ ही यहां बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम स्थापित कर रूस को कड़ी चुनौती देने की रणनीति भी शामिल है।
ट्रंप ने कहा- हमें ग्रीनलैंड सिर्फ खनिजों के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चाहिए। वहां रूसी और चीनी जहाजों की मौजूदगी अमेरिका के लिए चिंता का विषय है। ट्रंप के बयान और दूत की नियुक्ति पर ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री जेन्स फ्रेडरिक नीलसन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा- ग्रीनलैंड यहां के लोगों का है। कोई भी देश अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का बहाना बनाकर इस पर कब्जा नहीं कर सकता।
ग्रीनलैंड की आबादी करीब 57,000 है। यह द्वीप लंबे समय तक डेनमार्क की कॉलोनी रहा और 2009 में इसे स्वायत्त दर्जा मिला। हालांकि, आज भी यह काफी हद तक डेनमार्क की आर्थिक सहायता पर निर्भर है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बीच स्थित ग्रीनलैंड की भौगोलिक स्थिति इसे वैश्विक राजनीति और सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम बनाती है। यहां मौजूद खनिज संसाधन और सामरिक महत्व ही अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों के बीच प्रतिस्पर्धा का बड़ा कारण हैं।
