कांग्रेस के लिए विचार करने का समय
1 min read
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों में तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में भाजपा को मिली बड़ी जीत पार्टी को उत्साहित करने वाली है क्योंकि भाजपा ने यहां चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा था व इसे 2024 के लोकसभा चुनावों के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। अन्य दो राज्यों में भी भाजपा का मत प्रतिशत बढ़ा है जो पार्टी के लिए संतोष जनक है। तीन राज्यों में मिली यह जीत अन्य हिंदी पट्टी राज्यों में भाजपा की स्थिति को भी व्यक्त करती है।
हालांकि कुछ लोग यह भी मान रहे हैं कि अगर विपक्षी गठबंधन एक होकर इन चुनावों में भाग लेता तो शायद परिणाम कुछ अलग होते। लेकिन यह सिर्फ कल्पना है। जिस तरह इन चुनावों में वोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मिले हैं वैसा सर्वमान्य चेहरा विपक्षी गठबंधन पैदा ही नहीं कर सकता क्योंकि सभी दलों के अपने-अपने स्वार्थ निहित है और यह दल स्वयं को एक दूसरे से बेहतर साबित करने में जुटे हैं। गठबंधन के यह दल चाहते हैं कि दूसरे दल गठबंधन के नाम पर अपने हितों का त्याग करें। ऐसे में यह गठबंधन न तो इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में एकजुट हो पाया न ही आगामी लोकसभा चुनावों के दौरान हो पाएगा।
विधानसभा चुनावों को लेकर कहा जाता है कि जनता क्षेत्रीय मुद्दों पर वोट देती है पर तीन राज्यों में भाजपा की जीत ने यह सिद्ध किया है कि इन राज्यों के चुनावों में मोदी की छवि और उनकी लोकप्रियता भी एक बड़ा फैक्टर रहा है। इन तीन राज्यों में भाजपा ने जो भी वादे किए उन्हें प्रधानमंत्री ने मोदी की गारंटी की संज्ञा दी और लोगों में यह भरोसा जताया कि जो वादे किए जा रहे हैं उन्हें पूरा किया जाएगा। लोगों ने मोदी की गारंटी पर इसलिए भी भरोसा किया क्योंकि वे इससे परिचित थे कि केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाएं कितनी प्रभावी ढंग से काम कर रही हैं।
इन राज्यों में भाजपा की जीत ने न केवल कांग्रेस की चुनावी तैयारी की पोल खोल दी बल्कि आने वाले लोकसभा चुनावों में मोदी के नेतृत्व में भाजपा की जीत की संभावनाएं और बढ़ा दी है। कांग्रेस ने तेलंगाना में शानदार जीत हासिल की लेकिन इस जीत का जश्न इसलिए फीका पड़ गया क्योंकि उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश को छोड़कर वह कहीं भी सत्ता में नहीं रह गई है। उसे मिजोरम में भी केवल एक सीट मिली जबकि भाजपा यहां दो सीट जीतने में सफल रही।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा का मुकाबला कांग्रेस से ही था क्योंकि 5 साल पहले इन तीनों राज्यों में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। इसलिए इन राज्यों के नतीजे उसके लिए एक बड़ा झटका है। भाजपा लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुड़ चुकी है ऐसे में कांग्रेस को भी विचार करना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपमानजनक टिप्पणियां करने से कोई राजनीतिक लाभ मिला है या फिर उसे अपनी चुनावी रणनीति में बड़े बदलाव की आवश्यकता है?