ओ.आर.एस और ज़िंक का उपयोग है डायरिया का रामबाण इलाज: डॉ. जंगजीत सिंह
राज घई, कीरतपुर साहिब, डॉ. बलविंदर कौर, सिविल सर्जन रूपनगर के आदेशों और जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. नवरूप कौर के दिशा-निर्देशों के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग द्वारा कीरतपुर साहिब में विशेष “डायरिया रोकथाम अभियान” चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत पी.एच.सी कीरतपुर साहिब और इसके अधीन आने वाले सभी आयुष्मान आरोग्य केंद्रों पर आए माता-पिता को ओ.आर.एस घोल बनाने की विधि और इसके लाभों के बारे में जानकारी दी गई।
कीरतपुर साहिब में सीनियर मेडिकल अफसर डॉ. जंगजीत सिंह ने बताया कि आज “डायरिया रोकथाम अभियान” के तहत स्वास्थ्य केंद्रों में लोगों को ओ.आर.एस घोल बनाने की विधि के बारे में जागरूक किया गया। उन्होंने बताया कि डायरिया से पीड़ित बच्चों के लिए ओ.आर.एस और जिंक किसी रामबाण से कम नहीं हैं।
इस अवसर पर मेडिकल अफसर डॉ. अनु शर्मा ने बताया कि दस्त लगने पर शरीर में पानी की कमी और कमजोरी आ जाती है। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह समस्या जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए विशेष “डायरिया रोकथाम अभियान” के दौरान आशा वर्करों द्वारा घर-घर जाकर लोगों को ओ.आर.एस बनाने की विधि, हाथ धोने की प्रक्रिया, स्वच्छ भारत अभियान और मां के दूध के महत्व के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है।
ब्लॉक एजुकेटर रतिका ओबेरॉय ने बताया कि पी.एच.सी कीरतपुर साहिब में एल.एच.वी सुनीता द्वारा 5 साल तक के बच्चों के माता-पिता को ओ.आर.एस घोल बनाने की विधि समझाई गई। उन्होंने बताया कि घोल बनाने से पहले हाथों को साबुन से धोना चाहिए और पानी को उबालकर ठंडा करने के बाद ही उपयोग में लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक लीटर पानी में ओ.आर.एस का एक पैकेट घोलें और यह घोल 24 घंटे के भीतर ही पिया जाना चाहिए। आवश्यकता होने पर नया घोल तैयार किया जा सकता है, लेकिन एक बार बनाए गए घोल को 24 घंटे से अधिक नहीं रखना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि दस्त होने पर बच्चों को उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जिंक की गोलियां देना भी जरूरी है।
इस मौके पर एस.आई सिकंदर सिंह, हेल्थ इंस्पेक्टर सुखदीप सिंह, स्टाफ नर्स हरजीत कौर, बलजीत कौर, मल्टी परपज़ हेल्थ वर्कर कुलविंदर सिंह, एल.टी साक्षी, ए.एन.एम ज्योति और हरजीत कौर, आशा फैसिलिटेटर रीना और आशा वर्कर उपस्थित थीं।
