March 14, 2025

हिमाचल प्रदेश में बड़े उलट फेर की तैयारी में है सत्ता विरोधी पक्ष

हिमाचल प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के नेताओं के बीच शह और मात का खेल अभी भी जारी है व आने वाले चंद दिनों में यह खेल फिर से सार्वजनिक राजनीतिक तमाशे का रूप ले सकता है। मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे के दौरान शीर्ष नेतृत्व से हुई उनकी मुलाकात के उपरांत हालांकि माहौल कुछ शांत नजर आ रहा है लेकिन यह खामोशी तूफान के आने से पहले की खामोशी प्रतीत होती है। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा प्रतिभा सिंह, उनके बेटे मंत्री विक्रमादित्य सिंह व छह निष्कासित विधायकों के तेवरों में मुख्यमंत्री के प्रति कोई नरमी देखने को नहीं मिल रही है।

आने वाले तूफान का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि चंडीगढ़ में ठहराए गए छह अयोग्य घोषित किए गए विधायकाें व तीन निर्दलीय विधायकों को उत्तराखंड के ऋषिकेश ले जाया गया है। अब भले ही इस स्थान परिवर्तन को सामान्य घटनाक्रम बताया जा रहा है लेकिन संकेत यही है कि विधायकों को हर प्रकार के दबाव से दूर रखा जाए व आने वाले दिनों में सत्तापक्ष के विरूद्ध जो भी राजनीति हो उसमें उन सभी की महत्वपूर्ण भूमिका को बनाए रखा जा सके। भाजपा और अयोग्य घोषित विधायकों के संपर्क में रहने वाले सक्रिय सूत्रों का कहना है कि निकट भविष्य में हिमाचल प्रदेश में कुछ बड़ा हो सकता है जिसकी तैयारी में यह कदम उठाया गया है।

निष्कासित विधायकों के पक्ष में अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई निर्णय आता है तो प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर उसका बड़ा असर पड़ सकता है क्योंकि तीन निर्दलीय विधायकों और 6 अयोग्य घोषित विधायकों को मिलाकर भाजपा समर्थन में 34 का आंकड़ा बनता है। इतने ही विधायक कांग्रेस के पास रहेंगे जिनमें से एक सदस्य को अध्यक्ष की कुर्सी पर भी बैठना होगा। हालांकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू नाराज़ पक्ष को शांत करने के लिए उनके गुट से राजनीतिक नियुक्तियां भी कर रहे हैं लेकिन मामला इतना आगे बढ़ चुका है कि ऐसा करने से भी स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन होने की संभावना नहीं है। क्योंकि यह राजनीतिक लड़ाई अब आर या पार का रूप ले चुकी है।

आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए व विरोधी पक्ष को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा पिछली कैबिनेट बैठकों में महिलाओं को 1500 रूपए प्रति माह देने, 3 रूपए प्रति किलो गोबर खरीदने, स्कूल प्रबंधन समिति अध्यापकों को नियमित करने का निर्णय लिया जा चुका है। लेकिन प्रदेश कैबिनेट द्वारा आनन फानन में लिए गए इन निर्णयों को लेकर भी विरोधी पक्ष चुटकियां ले रहा है।

प्रदेश में उपजे राजनीतिक परिदृश्य को शांत करने के लिए यहां पहुंचे कांग्रेस पार्टी के पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में भी यह माना गया है कि विद्रोह की यह स्थिति बनने से पहले मुख्यमंत्री कुछ भी भांप नहीं सके जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा प्रतिभा सिंह व पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह की भूमिका पर भी इस रिपोर्ट में सवाल उठाए गए हैं। इसी बीच में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने की सुगबुगाहट भी सुनने को मिली है लेकिन लोकसभा चुनाव सिर पर होने के कारण कांग्रेस हाई कमान किसी भी पक्ष के विरुद्ध कोई निर्णय लेने से बचता नजर आ रहा है।

अयोग्य घोषित किए गए विधायक मुख्यमंत्री पर खुलकर जुबानी हमले कर रहे हैं। ऐसे में यह माना जा सकता है कि सुक्खू सरकार विरोधी पक्ष हार मानने को तैयार नहीं है व कहीं न कहीं भाजपा के साथ मिलकर अगली रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। अयोग्य घोषित किए गए विधायक राजेंद्र राणा व सुधीर शर्मा के द्वारा मुख्यमंत्री के विरूद्ध की जाने वाली कटु टिप्पणियां व उनका आत्मविश्वास जता रहा है कि निकट भविष्य में प्रदेश की राजनीति में बड़ा उलट फेर हो सकता है।