स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती है देर रात तक जागने की आदत
1 min read
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी का सबसे ज्यादा असर हमारी स्लीपिंग साइकिल पर पड़ा है। बहुत से लोग अब देर रात तक जागने की आदत के शिकार हो गए हैं। हालांकि लंबे अर्से तक ये आदत बनी रहने पर शरीर पर कई बड़े साइड इफेक्ट्स दे सकती है। ये आदत फिजिकल के साथ मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करती है। देर रात तक जागने की आदत हमारे शरीर और दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी का सबसे ज्यादा असर हमारी स्लीपिंग साइकिल पर पड़ा है। बहुत से लोग अब देर रात तक जागने की आदत के शिकार हो गए हैं। हालांकि लंबे अर्से तक ये आदत बनी रहने पर शरीर पर कई बड़े साइड इफेक्ट्स दे सकती है। ये आदत फिजिकल के साथ मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करती है। देर रात तक जागने की आदत हमारे शरीर और दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
नींद की कमी लंबे समय तक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है, जैसे कि मोटापा, हृदय रोग, और कमजोर इम्यून सिस्टम। यह मेटाबॉलिज्म को धीमा कर सकता है, जिससे वजन बढ़ने और ब्लड शुगर लेवल असंतुलित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, कम सोने से मानसिक दक्षता भी प्रभावित होती है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
देर रात सोने के 6 बड़े नुकसान
नींद की गुणवत्ता खराब होना: देर रात सोने से नींद का पैटर्न बिगड़ जाता है, जिससे शरीर को गहरी और आरामदायक नींद नहीं मिल पाती। इससे व्यक्ति थकान, सिरदर्द और चिड़चिड़ापन महसूस करता है। नींद पूरी न होने से शरीर की मरम्मत और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया भी बाधित होती है, जिससे दिनभर सुस्ती बनी रहती है और ऊर्जा का स्तर गिर जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: रात में देर तक जागने से तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। नींद की कमी से मस्तिष्क की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे नकारात्मक विचार अधिक आते हैं। इसके अलावा, देर रात तक स्क्रीन का उपयोग करने से मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, जिससे मन अशांत रहता है और मानसिक थकावट बढ़ जाती है।
स्मरण शक्ति और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम होना: देर रात तक जागने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे याददाश्त और एकाग्रता पर असर पड़ता है। नींद के दौरान मस्तिष्क पुरानी यादों और नई जानकारी को व्यवस्थित करता है, लेकिन जब नींद पूरी नहीं होती, तो नई चीजों को सीखने और समझने की क्षमता घट जाती है। इससे पढ़ाई या काम में प्रदर्शन कमजोर हो सकता है।
वजन बढ़ने का खतरा: देर रात तक जागने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वजन बढ़ने की संभावना अधिक होती है। नींद की कमी से शरीर में लेप्टिन और घ्रेलिन जैसे हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, जिससे भूख अधिक लगती है और व्यक्ति अनहेल्दी स्नैक्स खाने की ओर आकर्षित होता है। इससे मोटापा, डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। कम सोने से हृदय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह रक्तचाप बढ़ाने और हृदय की धड़कन अनियमित करने का कारण बन सकता है। नींद की कमी से शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। लंबे समय तक यह आदत हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थितियों को जन्म दे सकती है।
इम्यून सिस्टम कमजोर होना: रात में देर से सोने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है। नींद के दौरान शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी और इम्यून सेल्स बनाता है, लेकिन जब नींद पूरी नहीं होती, तो यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है। इसका नतीजा यह होता है कि शरीर बार-बार सर्दी, जुकाम, फ्लू और अन्य बीमारियों का शिकार हो सकता है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।