July 13, 2025

71 साल की उम्र में सीए बने ताराचंद अग्रवाल : सामाजिक बदलाव की एक नई मिसाल

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जयपुर, जयपुर के 71 वर्षीय ताराचंद अग्रवाल ने चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बनकर यह साबित कर दिया है कि सीखने और कुछ हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती। उनकी यह उपलब्धि सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा है जो दिखाती है कि उम्रदराज लोग भी सक्रिय रहकर बड़े लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर से असिस्टेंट जनरल मैनेजर के पद से रिटायर होने के बाद, ताराचंद के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया जब 2020 में उनकी पत्नी का निधन हो गया। अकेलेपन को दूर करने के लिए उन्होंने पढ़ने का सहारा लिया। यह निर्णय सिर्फ उनके खालीपन को भरने के लिए नहीं था, बल्कि इसने उन्हें एक ऐसे रास्ते पर ला दिया जहाँ उन्होंने एक असाधारण उपलब्धि हासिल की। उनके बच्चों और पोती ने उन्हें सीए बनने के लिए प्रोत्साहित किया, जो यह दर्शाता है कि परिवार का सहयोग और युवाओं का प्रोत्साहन किस तरह बड़े सपनों को साकार कर सकता है।

ताराचंद अग्रवाल की कहानी उन सभी लोगों के लिए एक सशक्त संदेश है जो सोचते हैं कि रिटायरमेंट के बाद जीवन की उत्पादकता कम हो जाती है। उन्होंने न केवल एक कठिन परीक्षा पास की, बल्कि यह भी दिखाया कि सेवानिवृत्ति के बाद भी व्यक्ति नए कौशल सीख सकता है और समाज में अपनी जगह बना सकता है। उनकी यह यात्रा, जहाँ उन्होंने जुलाई 2021 में CA के लिए रजिस्ट्रेशन कराया और मई 2025 में फाइनल परीक्षा पास की, यह साबित करती है कि दृढ़ता और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

यह भी गौर करने वाली बात है कि ताराचंद ने CA की तैयारी के लिए किसी पारंपरिक कोचिंग का सहारा नहीं लिया। उन्होंने यूट्यूब और किताबों के माध्यम से खुद तैयारी की। यह आज के दौर में डिजिटल लर्निंग की बढ़ती अहमियत को दर्शाता है और बताता है कि सही लगन के साथ कोई भी व्यक्ति घर बैठे ज्ञान प्राप्त कर सकता है। उनका अपने बेटे के जनरल स्टोर के काउंटर पर बैठकर पढ़ाई करना भी उनकी असाधारण प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
परिवार का समर्थन और नई पहचान
ताराचंद के परिवार ने इस पूरी यात्रा में उनका पूरा समर्थन किया। उनके CA बेटे और टैक्स प्रैक्टिसनर बेटे, साथ ही बहुओं ने भी उन्हें लगातार प्रेरित किया। यह एक परिवार का उदाहरण है जहाँ पारंपरिक भूमिकाओं से हटकर, हर सदस्य एक-दूसरे के सपनों को पूरा करने में सहायक बनता है। अब लोग उन्हें ‘शोरूम वाले अंकल’ के बजाय ‘CA अंकल’ कहते हैं, जो उनकी नई पहचान और समाज में उनके बदले हुए सम्मान को दर्शाता है। उनकी यह कहानी हमें सिखाती है कि ज्ञान और सीखने की इच्छा हमें जीवन के किसी भी पड़ाव पर नई पहचान और सम्मान दिला सकती है।
ताराचंद अग्रवाल की यह उपलब्धि सिर्फ उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक प्रेरणा है कि उम्र, परिस्थिति या संसाधनों की कमी कभी भी सीखने और आगे बढ़ने की राह में बाधा नहीं बननी चाहिए। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सक्रियता, जिज्ञासा और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ हर चुनौती का सामना किया जा सकता है।