सर्वाइकल कैंसर के लक्षण व इससे बचने के तरीके
1 min readपूरी दुनिया में सर्विक्स का कैंसर महिलाओं में चौथे स्थान पर है और महिलाओं की बीमारी से जुड़े कैंसर में पहले स्थान पर
आता है। सर्विक्स गर्भाशय का निचला और पतला भाग होता है, जो इसे योनि से जोड़ता है। यह कैंसर गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं से शुरू होता है। यह आम तौर पर समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होता है। इसमें कोशिकाओं में बदलाव होते हैं, जिसे डिस्प्लासिया कहा जाता है, जिसमें गर्भाशय ग्रीवा में असामान्य कोशिकाएं दिखाई देने लगती हैं।
जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कंसल्टेंट रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. मुकुल रॉय ने बताया कि अगर इन्हें समय रहते हटाया या इलाज नहीं किया गया, तो ये असामान्य कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं में बदल जाती
हैं। यह सर्विक्स और आसपास की जगहों में गहराई से फैलने लगती हैं। इस कैंसर को रोका जा सकता है। कई देश सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग और रोकथाम टीके का इस्तेमाल करके इस बीमारी पर काबू पाने में सफल हुए हैं।आमतौर पर शुरुआती स्टेज में इसके लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि इन समस्याओं को प्रारंभिक स्टेज से जोड़कर देखा जा सकता है।
योनि से पानी जैसा पदार्थ निकला, जिसमें तेज गंध हो सकती है, कभी-कभी खून के साथ मिलकर,
संबंध बनाने के बाद ब्लीडिंग
मासिक धर्म के बीच योनि से रक्तस्राव
मासिक धर्म में अधिक ब्लीडिंग या सामान्य से ज्यादा दिन तक होना
निचले पेट या पेल्विक में दर्द। सर्वाइकल कैंसर के एडवांस स्टेज में लक्षणों में आंतों में दर्द, मल त्याग के दौरान खून निकलना, पेशाब करते समय दर्द या जलन, निचली पीठ में हल्का दर्द, पैरों में सूजन और पेट में दर्द हो सकते हैं।
ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के लंबे समय तक संपर्क में आने से सर्वाइकल कैंसर विकसित होता है। एचपीवी के विभिन्न प्रकार होते हैं। यौन संबंध बनाने वाले अधिकांश व्यक्तियों को जीवनकाल के किसी न किसी चरण में एचपीवी का संपर्क होता है। एचपीवी एडल्ट्स में कई प्रकार के कैंसर का कारण बनता है, जो मुंह और गले, सर्वाइकल, योन, लिंग और गुदा में कैंसर हो सकते हैं।
एचपीवी के 130 से अधिक प्रकार होते हैं, जिनमें से 20 प्रकार कैंसर से संबंधित होते हैं। एचपीवी टाइप 16 और 18 को आमतौर पर सर्वाइकल कैंसर से जोड़ा जाता है। एचपीवी टाइप 6 और 11 कम जोखिम वाले होते हैं और जननांगों में मस्से का कारण बनते हैं। एचपीवी त्वचा संपर्क से फैलता है, जिसमें यौन संपर्क, हाथ से जननांगों को छूना शामिल है।युवावस्था में यौन संबंधों का आरंभ
कई यौन साझेदार,
अधिक संतान होना
धूम्रपान,
वायरल इंफेक्शन – हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस, एचआईवी और अन्य एसडीआई।
परमानेंट एचपीवी इंफेक्शन 99 प्रतिशत से अधिक सर्वाइकल कैंसर का कारण बनता है।लड़कियों और लड़कों को 9 से 12 वर्ष की उम्र में एचपीवी वैक्सीनेशन के 2 डोज़ लेने चाहिए।
13 से 26 वर्ष की आयु के किशोर और युवा जो अभी तक टीका नहीं लगे हैं, उन्हें यह वैक्सीनेशन लेना चाहिए।
युवाओं का टीकाकरण बच्चों और किशोरों की तुलना में कैंसर से कम बचाव करता है। एसीएस 26 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए एचपीवी वैक्सीनेशन की सिफारिश नहीं करता।एचपीवी वैक्सीनेशन शरीर में एंटीबॉडी नामक प्रोटीन का निर्माण करने में मदद करता है, जो एचपीवी वायरस से संपर्क होने पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये एंटीबॉडी लंबे समय तक सक्रिय और मजबूत सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसलिए यह सर्वाइकल कैंसर के विकास को रोकने के लिए एक अच्छा प्रीवेंटिव उपाय है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।