ऊना में लगेगा आलू प्रोसेसिंग प्लांट : कृषि मंत्री
ऊना में हिमाचल दिवस समारोह में मुख्य अतिथि रहे कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार
रजनी, ऊना: कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने हिमाचल दिवस पर ऊना में आयोजित जिला स्तरीय समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। उन्होंने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक छात्र पाठशाला ऊना के प्रांगण में राष्ट्रीय ध्वज फहराया और मार्च पास्ट की सलामी लेने के उपरांत जिला वासियों को संबोधित किया। इस अवसर पर विकासात्मक योजनाओं पर झांकियां निकाली गई तथा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया।
प्रो. चंद्र कुमार ने अपने संबोधन में ऊना जिलावासियों को हिमाचल दिवस की बधाई दी और हिमाचल के गठन और विकास में योगदान देने वाले सभी महान नायकों की पुण्य स्मृतियों को नमन किया। उन्होंने कहा कि आज़ादी के 8 माह बाद, 15 अप्रैल, 1948 को 30 छोटी-बड़ी रियासतों के विलय के साथ हिमाचल केंद्र शासित चीफ कमीश्नर प्रोविंस के रूप में अस्तित्व में आया था। उन्होंने तब से अब तक कि हिमाचल की विकास गाथा में प्रदेश में समय-समय पर रही कांग्रेस सरकारों के योगदान का उल्लेख किया।
कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाना प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। प्रदेश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी परोक्ष या अपरोक्ष रूप से कृषि क्षेत्र से जुड़ी है। इसके दृष्टिगत सरकार ने कृषि उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आय में वृद्धि के लिए निर्णायक कदम उठाए गए हैं।
ऊना में लगभग 20 करोड़ की लागत से आलू प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जाएगा। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अपने बजट भाषण में इस संदर्भ में घोषणा की है। उन्होंने कहा कि ऊना में आलू की अच्छी पैदावार होती है और यहां का आलू देशभर में प्रसिद्ध है। यहां आलू प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना से स्थानीय किसानों के साथ-साथ पड़ोसी जिलों के आलू उत्पादकों को भी सीधा लाभ होगा। प्लांट में आलू के विविध उत्पाद, ग्लूकोज, चिप्स सहित अन्य प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे। इससे न केवल स्थानीय कृषि क्षेत्र को एक नया आयाम मिलेगा बल्कि किसानों की आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार प्रदेश में खेती बाड़ी और पशुपालन के ढांचे में बदलाव के लिए काम कर रही है। इस प्रकार की कृषि व्यवस्था को बढ़ावा देने के प्रयास हैं जिससे किसानों की आर्थिकी मजबूत बने। हमारी कोशिश है कि फसलों में रयासनों के प्रयोग को कम करके प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन मिले। इससे युवाओं किसानों का रूझान भी प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ेगा तथा प्रदेश जहरमुक्त खेती को छोड़ प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने तय किया है कि प्राकृतिक रूप से तैयार मक्की को अब 30 रुपये की बजाए 40 रुपये प्रति किलो और गेहूं को 40 रुपये की जगह 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जाएगा। यह न्यूनतम समर्थन मूल्य देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक है। इसके माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा और युवाओं के लिए आय सृजन के नए स्रोत बनेंगे।
प्रो. चंद्र कुमार ने कहा कि दूध खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने वाला हिमाचल देश का एकमात्र राज्य है। प्रदेश सरकार ने दो सालों के भीतर दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 7 से 8 रूपये तक बढ़ोतरी की है। सरकार ने गाय के दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को 45 रुपये से बढ़ाकर 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध को 55 रुपये से बढ़ाकर 61 रुपये प्रति लीटर किया है। इससे दूध उत्पादन और व्यापार से जुड़े प्रदेश के हजारों किसान लाभान्वित होंगे। इसके साथ दूध आधारित कारोबार की व्यवस्था को विकसित करने के लिए कांगड़ा में 230 करोड़ से मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित किया जा रहा है जोकि दो वर्षों के भीतर बनकर जनता को समर्पित किया जाएगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने गोबर खरीद योजना आरंभ करके किसानों पशुपालकों से किया अपना एक और वायदा पूर्ण किया है। सरकार ने किसानों से 2 और 3 किलो के हिसाब से गोबर खाद की खरीद की व्यवस्था की है। इसकी पैकेजिंग तथा वितरण का कार्य एक निजी कम्पनी को सौंपा गया है। इससे कृषि और बागवानी फार्मिंग के साथ-साथ नर्सरी क्षेत्र में गोबर खाद की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
उन्होंने कहा कि किसानों के उत्पादों को बेहतर मूल्य दिलाने और परदर्शी विपणन के लिए सभी मंडियों को ऑनलाईन सेवा से जोड़ा गया है। किसानों के हित सरकार के लिए सर्वोपरि है और उनसे किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।
