बाल विवाह करवाने या बढावा देने में सहायक व्यक्तियों को हो सकती है दो साल तक की सजा- स्वाति डोगरा
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बाल विवाह रोकने व बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के प्रति जाग़रूक करने को लेकर आयोजित बैठक में एसडीएम ने दी जानकारी
18 वर्ष से कम आयु की लडकी और 21 वर्ष से कम आयु का लडका नाबालिग
सरकाघाट, 10 अप्रैल।
एसडीएम सरकाघाट स्वाति डोगरा ने कहा कि बाल विवाह को रोकने के लिए समाज में जागृति लाने की जरूरत है। वह बाल विवाह को रोकने व बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता कर रही थी।
बैठक में उन्होंने बताया कि बाल विवाह को रोकने व उसके कानूनी प्रावधानों के कार्यान्वयन के साथ-साथ समाज में जागृति लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अंतर्गत 18 वर्ष के कम आयु की लडकी और 21 वर्ष से कम आयु के लडके को नाबालिग माना जाता है। नाबालिगों द्वारा किया गया विवाह गंभीर और गैर जमानती अपराध है। साथ ही विवाह अमान्य होने पर विवाह के समय दूसरे पक्ष की ओर से प्राप्त उपहारों, गहनों व धनराशि इत्यादि को भी वापिस करना होता है।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह होने की सूरत में संबंधित अभिभावकों, संलिप्त मैरिज हाल, पंडित, मौलवी, अभिभावकों, बैंड वाले, टेंट वाले, डीजे और कैटर्स भी अपराधी की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने बताया कि बाल विवाह करवाने या बढ़ावा देने में सहायक व्यक्तियों को दो साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हों सकते हैं।
बाल विवाह के आयोजन से संबंधित जानकारी, जिलाधिकारी, उप मण्डलाधिकारी, बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ), नजदीकी पुलिस थाना को देने या फिर पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112, चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 व 1090 पर सूचित करने के लिए कहा ताकि तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित हो सके। बाल विवाह की आशंका को देखते हुए लडका-लडकी के बालिग होने की पुष्टि हेतु उनके जन्म तिथि से संबंधित कागजात देखने के लिए कहा।
एसडीएम ने बैठक में उपस्थित विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों, पुजारियों, कैटरिंग, टेंट व डीजे वालों का आह्वान किया कि यदि उनके ध्यान में बाल विवाह होने की बात सामने आए तो इसकी तुरंत सूचना संबंधित अधिकारियों को देकर बाल विवाह जैसी बुराई को जड़ से समाप्त करने में सहयोग प्रदान करें।
एसडीएम ने महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग तथा पुलिस विभाग को ग्रामीण स्तर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, महिला मण्डलों एवं पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से समाज के सभी लोगों को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के सभी प्रावधानों की जानकारी देने के निर्देश दिए। बैठक में सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों व पदाधिकारियों ने भाग लिया।