पहलगाम आंतकी हमले में पाकिस्तान और टीआरएफ का हाथ
संयुक्त राष्ट्र में भारत ने सबूत के साथ खोला काला चिट्ठा
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले को लेकर भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान और उसके आतंकी नेटवर्क को कठघरे में खड़ा कर दिया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में सबूतों के साथ यह साबित किया है कि इस हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा और उसका मुखौटा संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) शामिल है।
22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर 26 टूरिस्टों की निर्मम हत्या कर दी थी। इसके जवाब में भारत ने सीमापार स्थित आतंकी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत कड़ी कार्रवाई की थी। अब इस हमले को लेकर भारत ने सबूतों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक मोर्चा भी खोल दिया है।
गुरुवार को भारत ने संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद रोधी कार्यालय और आतंकवाद रोधी समिति कार्यकारी निदेशालय के समक्ष विस्तृत सबूत पेश किए। इन सबूतों में टीआरएफ और लश्कर-ए-तैयबा के बीच सीधे संबंधों को उजागर किया गया है। भारत ने टीआरएफ को एक ग्लोबली बैन किए जाने योग्य आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की है।
भारत की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों में स्पष्ट किया गया है कि टीआरएफ, लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा संगठन है, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन प्राप्त है। हमले के तुरंत बाद टीआरएफ ने इसकी जिम्मेदारी ली थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव और पाकिस्तान के निर्देश पर बाद में उससे मुकर गया।
भारतीय अधिकारियों के अनुसार, टीआरएफ ने सीमा पार अपने आकाओं के इशारे पर बयान वापस लिया था। यह आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए लगातार सोशल मीडिया और स्थानीय नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, भारत ने टीआरएफ को आतंकी घोषित करने के लिए यूएन की 1267 समिति से भी संपर्क किया है। मई और नवंबर 2024 के बाद यह तीसरी बार है जब भारत ने इस समिति के सामने टीआरएफ के खिलाफ मजबूत साक्ष्य रखे हैं।
भारत ने साफ कर दिया है कि वह आतंक के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर कायम है। विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त टीम ने यूएन प्रतिनिधियों से मुलाकात कर टीआरएफ के खतरनाक मंसूबों और उसके पाकिस्तानी संरक्षण की सच्चाई सामने रखी।
