March 14, 2025

हिमाचल में सीएम सुक्खू का पार्टी में विरोध, नए सीएम के लिए लाबिंग शुरू

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हिमाल चंद शर्मा, राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस विधायकों द्वारा भाजपा के पक्ष में वोटिंग के बाद हिमाचल की कांग्रेस सरकार खतरे में आ गई है। प्रदेश में एक राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर अपना विरोध दर्ज कर दिया है। क्रॉस वोटिंग करने वाले एक विधायक ने कांग्रेस हाई कमान से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि अगर ऐसा होता है तो वे वापस आ सकते हैं। इस बीच पता चला है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे व पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है सभी नाराज विधायकों ही एक ही मांग है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह को पद से हटा दिया जाए। सरकार गिरने के खतरे के बीच बने हालात को संभालने के लिए कांग्रेस ऑब्जर्वर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार शिमला पहुंच गए हैं। कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने कांग्रेस हाई कमान से बात की और मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू को पद से हटाने की मांग की। राणा ने प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला और राष्ट्रीय महासचिव संगठन के सी वेणुगोपाल को फोन करके दी कि उन्हें कांग्रेस से कोई दिक्कत नहीं है बल्कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से परेशानी है। राजेंद्र राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री को हटाया जाता है तो वे वापस आने को तैयार है। बताया जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह के पक्ष में मुख्यमंत्री पद के लिए सशक्त लाबिंग की जा रही है और उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है। हिमाचल प्रदेश विधान सभा में 68 सीटें हैं और बहुमत के लिए 35 विधायक चाहिए। 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 40 और भाजपा को 25 सीटों पर जीत मिली थी। तीन सीटों पर निर्दलीय विधायक जीते थे। कल राज्यसभा की एक सीट के लिए हुए मतदान में कांग्रेस के 6 विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग भाजपा के पक्ष में की गई है। अगर यह पाला बदलते हैं तो सुक्खू सरकार के पास 34 विधायकों का समर्थन ही रहेगा, यानी कि बहुमत से एक कम। कांग्रेस के लिए थोड़ी राहत एंटी डिफेक्शन लॉ से मिल सकेगी। इस कानून के तहत क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक फ्लोर टेस्ट में सरकार के खिलाफ वोट नहीं डाल पाएंगे। इस कानून के मुताबिक एक पार्टी का विधायक दूसरी पार्टी को वोट नहीं दे सकता है। अगर वोट देता है तो उसकी सदस्यता जा सकती है। यह लॉ राज्यसभा चुनाव की वोटिंग में लागू नहीं होता है। फ्लोर टेस्ट से पहले हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए बड़ी चुनौती वित्तीय वर्ष 2024- 25 का बजट पास कराने की है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार कल 29 फरवरी को सदन में बजट पास करना है। यह भी माना जा रहा है कि सरकार इसे आज ही पारित करने के लिए सदन में ला सकती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बेशक कांग्रेस विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में एंटी वोट दिया है लेकिन बजट पारित करने में वह एंटी वोटिंग नहीं कर सकेंगे। क्योंकि मुख्य सचेतक ने पहले ही व्हिप जारी कर रखा है। इसे नजरअंदाज करने पर पार्टी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग करने के संकेत को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू नहीं भांप सके जबकि इसकी तैयारी उसी दिन हो गई थी जब पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के करीबी रहे हर्ष महाजन को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया था। सुखविंदर सिंह सुक्खू आखिरी समय तक विधायकों की नाराजगी को नहीं भांप सके व अंत तक अपनी जीत का दावा करते रहे। कांग्रेसी विधायकों में क्रॉस वोटिंग करने वालों में सुजानपुर से विधायक राजेंद्र राणा, धर्मशाला के सुधीर शर्मा, कुटलैहड़ के देवेंद्र भुट्टो, बड़सर के आईडी लखनपाल, लाहौल स्पीति के रवि ठाकुर और गगरेट के चैतन्य शर्मा है। निर्दलीय विधायकों में देहरा के विधायक होशियार सिंह, नालागढ़ के केएल ठाकुर और हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा शामिल है। वर्तमान हिमाचल प्रदेश में बनी राजनीतिक परिस्थितियों के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को ही जिम्मेदार माना जा रहा है।