स्व इंदिरा गांधी की जयंती पर कुटलैहड़ कांग्रेस ने जमासनी से बंगाणा तक निकाली प्रभात फेरी
स्व इंदिरा गांधी ने देश की जनता के लिए चलाई अहम योजनाएं, देश के लिए उनका योगदान अमूल्य: देवेन्द्र भुट्टो
अजय कुमार, बंगाणा, कुटलैहड़ विस क्षेत्र के विधायक देवेन्द्र कुमार भुट्टो ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी की जयंती पर माता जमासनी से लेकर रेस्ट हॉउस बंगाणा तक सुबह 5 बजे सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ प्रभात फेरी निकाली। रेस्ट हाउस बंगाणा में पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए वही कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए देवेन्द्र कुमार भुट्टो ने कहा कि देश की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी अपने आप में एक खास शख्यियत थीं। इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर, 1917 को हुआ था। उनके पिता जवाहर लाल नेहरू आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वालों में शामिल थे। वही दौर रहा, जब 1919 में उनका परिवार महात्मा गांधी जी के सानिध्य में आया और इंदिरा ने पिता नेहरू से राजनीति का पहला पाठ सीखा। देवेन्द्र कुमार भुट्टो ने कहा कि उनके भीतर गजब की राजनीतिक दूरदर्शिता थी। मात्र ग्यारह वर्ष की उम्र में स्व गांधी ने ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए बच्चों की सेना बनाई थी। 1938 में वह औपचारिक तौर पर इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हुईं । और 1947 से 1964 तक अपने प्रधानमंत्री पिता नेहरू के साथ उन्होंने काम करना शुरू कर दिया।भुट्टो ने कहा कि वे राजनीति सियासी उतार-चढ़ाव को बखूबी समझती थीं। यही वजह रही कि उनके सामने न सिर्फ देश, बल्कि विदेश के नेता भी उन्नीस नजर आने लगते थे। पिता नेहरू के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी का ग्राफ अचानक काफी ऊपर पहुंचा। लोग उनमें पार्टी एवं देश का नेता देखने लगे। वे सबसे पहले लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं। देवेन्द्र कुमार भुट्टो ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद 1966 में वह देश के सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुईं। स्व इंदिरा गांधी तत्कालीन राजघरानों के प्रिवी पर्स समाप्त कराने को लेकर उठे तमाम विवाद के बावजूद तत्संबंधी प्रस्ताव को पारित कराने में सफलता हासिल करने, बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने जैसा साहसिक फैसला लेने और पृथक बांग्लादेश के गठन और उसके साथ मैत्री और सहयोग संधि करने में सफल होने के बाद बहुत तेजी से भारतीय राजनीति के आकाश पर छा गईं। भुट्टो ने कहा कि वर्ष 1975 में आपातकाल लागू करने का फैसला करने से पहले भारतीय राजनीति एक ध्रुवीय सी हो गई थी जिसमें चारों तरफ इंदिरा ही इंदिरा नजर आती थीं। इंदिरा की ऐतिहासिक कामयाबियों के चलते उस समय देश में इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा’ का नारा जोर-शोर से गूंजने लगा। इंदिरा उस वक्त राजनीति एक ध्रुव हो गई थी। उनकी शख्सियत इतनी बड़ी हो गई थी कि उनके सामने कोई दूसरा नजर नहीं आता था। अपने व्यक्तित्व को व्यापक बनाने के लिए उन्होंने खुद भी प्रयास किया। इंदिरा के बारे में सबसे सकारात्मक बात यह है कि वह राजनीति की नब्ज को समझती थीं और अपने साथियों से उनका बेहतरीन तालमेल था। भुट्टो ने कहा कि इंदिरा गाँधी का सबसे बड़ा सपना गरीबी मुक्त भारत था। उन्होंने देश की गरीब जनता के लिए एक दर्जन से ज्यादा योजनाएं चलाई। भुट्टो ने कहा कि राजनीति हलचल में देश की महिला प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी को दुनिया मे आयर्न लेडी अवार्ड से नबाजा गया। राजनीति की नब्ज को समझने वाली इंदिरा मौत की आहट को तनिक भी भांप नहीं सकीं। 31 अक्टूबर, 1984 को उनकी सुरक्षा में तैनात दो सुरक्षाकर्मियों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने उन्हें गोली मार दी। दिल्ली के एम्स ले जाते समय उनका निधन हो गया। इंदिरा गांधी के निधन के बाद भारत में शोक की लहर उठ गई और वो ऐसी लहर थी जो आज भी हर भारतवासी के दिल में उठ जाती है। भुट्टो ने कहा कि देश को आज़ादी दिलाने वाले गांधी परिवार ने देश के लिए ने शहादत दी है। इस मौके पर महासचिंव प्रवीण शर्मा, पूर्व प्रधान सुदर्शन शर्मा, देसराज मोदगिल के अलावा सैंकड़ों गणमान्य लोग मौजूद रहे।
