December 26, 2025

अब खून भी मांगेगा क्वालिटी, नए मानक होंगे तय

चंडीगढ़: अब सिर्फ खून देना ही काफी नहीं, सवाल ये भी है कि खून कितना शुद्ध है, सुरक्षित है और सही तरीके से मरीज तक पहुंचता है या नहीं। चंडीगढ़ में गत दिवस हुए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यही मुद्दा छाया रहा, जहां देश-विदेश से आए विशेषज्ञों ने रक्त सेवाओं में क्वालिटी सिस्टम को नए सिरे से परिभाषित किया। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच), सेक्टर-32 में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन, एम्स्टर्डम के सहयोग से आयोजित इस सीएमई (निरंतर चिकित्सा शिक्षा) में 150 से अधिक डॉक्टरों, विशेषज्ञों और ब्लड बैंक कर्मियों ने भाग लिया। विषय था ‘गुणवत्ता प्रणाली: सुरक्षित और प्रभावी रक्त सेवाओं की आधारशिला।’ सम्मेलन का उद्घाटन जीएमसीएच के डायरेक्टर प्रिंसिपल प्रो. एके अत्री ने किया। उन्होंने कहा कि रक्त सेवाएं तभी सार्थक हैं, जब हर ब्लड यूनिट अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरे। मरीज की जान एक गलती पर निर्भर हो सकती है। कार्यक्रम में जर्मनी से प्रो. सीडल क्रिश्चियन विशेष रूप से शामिल हुईं। वे इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन की क्वालिटी मैनेजमेंट वर्किंग पार्टी की उपाध्यक्ष हैं। उनके अलावा पीजीआई चंडीगढ़ के प्रो. आर.आर. शर्मा, एम्स ऋषिकेश की प्रो. गीता नेगी और जीएमसी जम्मू की प्रो. मीना सिद्धू जैसे विशेषज्ञों ने भी रक्त प्रबंधन में गुणवत्ता के पहलुओं पर विचार रखे।

जीएमसीएच के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की प्रमुख प्रो. रवनीत कौर ने कहा कि ब्लड बैंक चलाना अब सिर्फ तकनीक नहीं, एक बड़ी जिम्मेदारी है। गुणवत्ता प्रणाली ही मरीजों की जिंदगी को बेहतर और सुरक्षित बना सकती है। इस कार्यक्रम को पंजाब मेडिकल काउंसिल ने चार क्रेडिट घंटे दिए, लेकिन जो ज्ञान और चेतना इसमें फैली, उसका असर प्रतिभागियों पर लंबे समय तक रहेगा। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ से आए प्रतिनिधियों ने इसे आंखें खोलने वाला अनुभव बताया।

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