February 23, 2025

नाथ संप्रदाय देश के अति प्राचीन संप्रदाय में से एक :- योगी आदित्यनाथ

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धर्म, देश और संप्रदाय को बचाने के लिए सभी का योगदान जरूरी

-संपूर्ण भारत में बढ़ रहे नाथ संप्रदाय के अनुयाई, समाज के उत्थान में होगा अहम योगदान

रोहतक, अस्थल बोहर स्थित श्री बाबा मस्तनाथ मठ में रविवार को हरड पूजा के कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं भेष बारह पंत योगी महासभा के अध्यक्ष महंत आदित्यनाथ योगी ने शिरकत की। महंत आदित्यनाथ योगी का ढोल नगाड़े और बाजों के साथ महंत बालकनाथ योगी की अगुवाई में स्वागत किया गया। नाथ संप्रदाय के पूरे विधि विधान और मंत्रोच्चार के साथ हरड पूजा संपन्न की गई और गुरु महाराज महंत पीर चांद नाथ योगी जी की स्मृति में आठमान भंडारा, शंखढाल व देश मेले की तिथि आयोजित तिथि सुनिश्चित की गई। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा की हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि नाथ संप्रदाय अति प्राचीन संप्रदाय में से एक है। योगी चांदनाथ महाराज पिछले लंबे समय से हमारे साथ नहीं है लेकिन उनके मार्गदर्शन में नाथ संप्रदाय की विशेष पद्धति अनेकों रूप में आगे बढ़ रही है। महंत चांदनाथ जी महाराज ने धर्म, देश, संप्रदाय, जनमूल्यों, जनआदर्श की पद्धति को भी आगे बढ़ाने का काम किया है।उनका यह विशेष योगदान वर्तमान में कोई नहीं भूला सकता। उन्होंने एक किस्सा बताते हुए बताया कि वे दो साल पहले अयोध्या में गए हुए थे। सुबह के 3 और 4 बजे के बीच में आंख खुली तो देखा कि किसी की आवाज आ रही है और ऐसा लग रहा जैसे बद्रीनाथ में सिद्ध बाबा सुंदर नाथ जी दिखाई दे रहे हैं। अगले ही दिन उन्होंने बद्रीनाथ धाम की यात्रा की और वहां देखने को मिला कि मंदिर के पीछे सिद्ध बाबा सुंदर नाथ जी की गुफा मौजूद है। वहां जाकर गुफा के जीर्णोद्धार का कार्य करवाया। नाथ संप्रदाय का कोई भी अनुयाई भारत के किसी भी कोने में जाएगा तो उसे नाथ संप्रदाय के योगेश्वर हर जगह देखने को मिलेंगे। संपूर्ण भारत में नाथ संप्रदाय के अनुयाई बढ़ रहे हैं धर्म के साथ-साथ दीक्षित और शिक्षित भी कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि कोई भी सनातन धर्म का उल्लंघन न करे नाथ संप्रदाय की शिक्षा का अनुसरण कर सफलता की ओर अग्रसर रहे। महंत चांद नाथ योगी जी ने पूज्य गुरुदेव श्री श्रेयनाथ द्वारा शिक्षा चिकित्सा और अध्यापन के क्षेत्र में जो भी प्राप्त किया उन्हीं को आधार बनाकर जीवन के अनेक उल्लेखनीय कार्यों में अपना योगदान दिया। एक योग्य गुरू से योग्य शिष्य विरासत को प्राप्त करता है।