March 13, 2025

चुनावों को प्रभावित करने की विदेशी धरती से घटिया साजिश

भारत में लोकसभा के लिए चुनावों की प्रक्रिया जारी है। इस बीच चुनावों को प्रभावित करने के लिए विश्व के शीर्ष देशों से भारत या भारत के लोकतंत्र के प्रति विपरीत प्रतिक्रियाएं भी आने लगी है। यह सही है कि गलत 10 वर्षों से विश्व में भारत की छवि में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। भारत को एक गरीब देश से तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले एवं आत्मनिर्भर देश के रूप में पहचान मिली है।

इस दशक में दुनिया के विकसित देशों ने भी भारत की बढ़ती ताकत को माना है व भारत के साथ मधुर संबंध विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। भारत सरकार ने भी किसी भी शक्तिशाली देश की ताकत को दरकिनार करते हुए अपने देश के सम्मान को आगे रखकर दुनिया में अपनी पहचान कायम की है व यह साबित किया है कि भारत किसी भी देश से कम नहीं है।

लोकसभा चुनावों के बीच विदेशी धरती से भारत को लेकर विपरीत प्रतिक्रियाएं आने का मतलब यही है कि कुछ देश भारत की बढ़ती ताकत को स्वीकार तो कर रहे हैं लेकिन इस सत्य को पचा नहीं पा रहे हैं। ऐसे में वे कभी अपनी संस्थाओं के द्वारा यहां के लोकतंत्र पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो कभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर चिंता प्रकट करते हैं।

हाल ही में एक अमेरिकी आयोग ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिकूल रिपोर्ट जारी की है। इसके कुछ दिन पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता जताई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय को मानवाधिकारों पर अमेरिकी रिपोर्ट को खारिज करते हुए यह कहना पड़ा था कि वह भारत के बारे में अपनी खराब समझ का परिचय दे रही है। भारत के प्रति जितना दुराग्रह इस रिपोर्ट में झलक रहा है उतना ही धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी रिपोर्ट में भी है। इसलिए भारत को कहीं कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यह कहना पड़ा कि धार्मिक स्वतंत्रता का आकलन करने वाला अमेरिकी आयोग राजनीतिक एजेंडा वाला एक पक्षपाती संगठन है और वह भारत को लेकर अपना दुष्प्रचार जारी रखे हुए हैं।

यह वही पश्चिमी संस्थाएं हैं जो कृषि कानून विरोधी उग्र आंदोलन और शाहीन बाग के अराजक धरने को एक तरह से न केवल अपना समर्थन दे रही थी बल्कि भारत को मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पाठ भी पढ़ रही थी। गत दिवस अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी अपनी टिप्पणी में भारत को विदेशियों से द्वेष रखने वाला देश बताया था। स्पष्ट है कि यह देश दुनिया में भारत के बढ़ते कद को स्वीकार करते हुए हिचकिचा रहे हैं।

इन देशों की निचले स्तर की इन हरकतों का जवाब भारत को भी देना चाहिए व ऐसी रिपोर्ट दुनिया के समक्ष रखनी चाहिए जिस में इन देशों में हो रही गड़बड़ियों का विस्तृत व तथ्य पूर्वक जिक्र हो। क्योंकि इन देशों में भी काफी कुछ ऐसा होता है जो लोकतांत्रिक मूल्यों व नियम कानून के विपरीत है। अगर ऐसा किया जाता है तो अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड जैसे देश दुनिया के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए मजबूर हो जाएंगे।