हिमाचल में मानसून का कहर जारी
22 जुलाई को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी बारिश के लिए नारंगी अलर्ट जारी
शिमला, हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर और तेज हो गया है तथा गत 20 जून के बाद से अब तक 125 लोगों की जानें गयी और 215 लोग घायल हुए हैं जबकि बहुत से लोग अभी भी लापता हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 20 जून से अब तक कुल 1,23,5.74 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जिसमें बुनियादी ढाँचे, कृषि और निजी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा है। राज्य में प्राकृतिक आपदाओं से मरने वालों की संख्या 70 और बारिश से संबंधित सड़क दुर्घटनाओं से मरने वालों की संख्या 55 हो गयी है। इस आपदा में 500 घर, 952 गौशाला , 241 दुकानों और 141 श्रमिक शेडों को आंशिक अथवा पूरी तरह से नुकसान पहुंचा है। वहीं 21,500 मुर्गी पक्षियों सहित 22,796 से अधिक जानवर मारे गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 1,076.94 लाख रुपये से अधिक की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ है।
एसईओसी की ताजा बुलेटिन के मुताबिक रविवार शाम तक मंडी, कुल्लू और कांगड़ा ज़िलों की प्रमुख संपर्क सड़कों सहित 142 सड़कें अवरुद्ध हैं। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण 26 बिजली ट्रांसफार्मर और 40 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 21 और 22 जुलाई को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी बारिश के लिए नारंगी अलर्ट जारी किया है, जबकि शिमला, चंबा और कुल्लू के लिए पीले अलर्ट जारी किए गए हैं।
मौसम विभाग ने भूस्खलन, अचानक बाढ़, जलभराव और नदियों के बढ़ते जलस्तर के प्रति आगाह किया है। फिसलन भरी सड़कों के कारण वाहन फिसलने और संवेदनशील हिस्सों में यातायात जाम होने की आशंका जतायी गयी है। मौसम विभाग के अधिाकरियों ने पर्यटकों को ट्रेकिंग से बचने तथा नदियों और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी गयी है। प्रशासनिक अधिकारिकयों ने बताया कि प्रभावित गाँवों में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जबकि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें चुनौतीपूर्ण मौसम के बीच बचाव अभियान जारी रखे हुए हैं। अगले 72 घंटे महत्वपूर्ण हैं, 21-22 जुलाई को भारी बारिश होने की उम्मीद है। स्थानीय निवासियों से अनावश्यक यात्रा से बचने का आग्रह किया है, खासकर राष्ट्रीय राजमार्ग-5 और राष्ट्रीय राजमार्ग-21 पर, जहां ताजा भूस्खलन के बाद अभी भी बहाली का काम चल रहा है।
