December 21, 2025

एक राष्ट्र, एक चुनाव की दिशा में बढ़ी मोदी सरकार

पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में समिति तलाशेगी संभावनाएं

नई दिल्ली, (एजेंसी)
केंद्र की मोदी सरकार ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में बढ़ चली है। लोकसभा, विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इससे लोकसभा चुनाव का समय आगे बढ़ने की संभावनाओं के द्वार खुल गए हैं ताकि इन्हें कई राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ संपन्न कराया जा सके।

कोविंद इस कवायद और तंत्र की व्यवहार्यता का पता लगाएंगे कि देश में चुनाव एक साथ कैसे कराए जा सकते हैं। देश में 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ हुए थे। कोविंद विशेषज्ञों और विभिन्न नेताओं के साथ विचार विमर्श करेंगे। संसद के विशेष सत्र की घोषणा के एक दिन बाद यह कदम सामने आया है। वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निरंतर चुनाव चक्र से वित्तीय बोझ पड़ने और चुनाव के दौरान विकास कार्य को नुकसान पहुंचने का हवाला देते हुए चुनाव एक साथ कराने के विचार पर जोर देते रहे हैं, जिनमें स्थानीय निकायों के चुनाव भी शामिल हैं। कोविंद ने भी मोदी के विचारों को दोहराया और 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद इसका समर्थन किया था।

मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का दूसरा कार्यकाल खत्म होने वाला है और पार्टी के शीर्ष स्तर की राय है कि यह मुद्दा राजनीतिक रूप से भी पार्टी के लिए अनुकूल होगा और विपक्ष को चौंकाने वाला होगा। नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों- मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान में चुनाव होने वाले हैं। अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव होने हैं। सरकार के इस कदम से आम चुनाव एवं कुछ राज्यों के चुनाव को आगे बढ़ाने की संभावना है। आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होने हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और ओडिशा में उनके समकक्ष नवीन पटनायक के साथ भाजपा के अच्छे संबंध हैं। दो राज्यों- महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा सहयोगियों के साथ सत्ता में है और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो)-कांग्रेस शासित झारखंड में लोकसभा चुनाव के बाद चुनाव होने वाले हैं।

संघीय ढांचे के लिए खतरनाक : विपक्ष

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तंज कसा कि कि सत्तारूढ़ पक्ष लोगों का ध्यान भटकाने की कितनी भी कोशिश कर ले, वे झांसे में नहीं आने वाले हैं। उन्होंने कहा कि इस ‘निरंकुश’ सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। भाकपा महासचिव डी. राजा ने सवाल उठाया कि सरकार अन्य राजनीतिक दलों से चर्चा किए बिना एकतरफा फैसला कैसे ले सकती है। आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने आरोप लगाया कि सरकार जो करना चाहती है वो संघवाद के लिए खतरा है। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा, ‘हम निष्पक्ष चुनाव की मांग करते हैं, ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की नहीं। ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का यह कदम हमारी निष्पक्ष चुनाव की मांग से ध्यान भटकाने के लिए लाया जा रहा है।’

लाभ अनेक तो मुश्किलें भी कम नहीं

इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए कम से कम पांच संवैधानिक संशोधनों- संसद के सदनों की अवधि संबंधी अनुच्छेद 83, राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा भंग करने से संबंधित अनुच्छेद 85, विधानसभाओं संबंधी अनुच्छेद 172, 174 और अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन संबंधी), की जरूरत होगी। इसके अलावा बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) व पेपर ट्रेल मशीनों की जरूरत होगी, जिन पर ‘हजारों करोड़ रुपये’ की लागत आएगी। मामला विधि आयोग के पास भी है। अधिकारियों ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से सरकारी खजाने में भारी बचत होगी। राजनीतिक दलों को भी सहूलियत होगी। संघीय ढांचे को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दलों की आम सहमति की भी आवश्यकता होगी। इस कवायद के लिए अतिरिक्त मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों की भी आवश्यकता होगी। संसद की स्थायी समिति ने अपनी 79वीं रिपोर्ट में प्रकाश डाला था कि दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते हैं। स्वीडन में, संसद (रिक्सडैग) और प्रांतीय विधायिका/ काउंटी परिषद (लैंडस्टिंग) और स्थानीय निकायों/नगरपालिका विधानसभाओं (कोम्मुनफुलमाक्टिगे) के चुनाव एक निश्चित तारीख पर कराए जाते हैं।

जल्द बताएंगे विशेष सत्र का एजेंडा : प्रह्लाद जोशी

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि विशेष संसद सत्र का एजेंडा जल्द जारी किया जाएगा। केंद्र ने 18 से 22 सितंबर तक ‘संसद का विशेष सत्र’ बुलाया है जिसमें पांच बैठकें होंगी। मोदी सरकार के अब तक के नौ वर्षों से अधिक के कार्यकाल में पहली बार संसद का ऐसा विशेष सत्र बुलाया गया है। इससे पहले हालांकि ‘जीएसटी’ के लागू होने के अवसर पर 30 जून 2017 की मध्यरात्रि को लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त सत्र आहूत किया गया था।

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