December 21, 2025

केंद्र और राज्य सरकार की साझा पहल है कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय नियामतपुर

आज शिक्षा से लेकर खेल तक छोड़ रहा छाप

हॉस्टल के अपने किचन गार्डन में उगाई जाती हैं सब्जियां

नांगल चौधरी। सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की लड़कियों को एक सुरक्षित वातावरण में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय नियामतपुर आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है। यह विद्यालय अब शिक्षा से लेकर खेल तक अपनी छाप छोड़ रहा है।
वर्ष 2013 में स्कूल की इमारत तैयार की गई थी। 2017 में सीनियर सेकेंडरी स्कूल के पीछे दो छोटे कमरों और मात्र तीन स्टाफ सदस्यों के साथ इसकी शुरुआत हुई। साधन सीमित थे मगर लक्ष्य विशाल था। यह विद्यालय केंद्र और राज्य सरकार की एक साझा पहल थी जो विशेष रूप से कक्षा 6 से 12 तक की उन बच्चियों के लिए है जिनकी शिक्षा किसी कारणवश छूट गई थी।
नियामतपुर गांव नारनौल मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है। इस स्कूल का माहौल ऐसा है मानो प्रकृति ने खुद अपनी गोद में शिक्षा का मंदिर बनाया हो। एक तरफ शांत जंगल, दूसरी ओर शिव मंदिर और गौशाला। यहां की हवा में पढ़ाई के साथ-साथ एक अद्भुत शांति भी घुली हुई थी जो बच्चियों के मन को सुकून दे रही है।
स्कूल के साथ बना आवासीय हॉस्टल तो जैसे बच्चियों का दूसरा घर हो। साफ-सफाई, शुद्ध और पौष्टिक भोजन, सुरक्षा और अनुशासन सब कुछ अव्वल दर्जे का। सुबह का नाश्ता हो या रात का खाना हर चीज़ डाइट चार्ट के हिसाब से मिलती हैं। यहां सब्जियां हॉस्टल के अपने किचन गार्डन से आती हैं। हॉस्टल परिसर इतना सुरक्षित है कि बिना अनुमति किसी पुरुष का प्रवेश वर्जित है। माता-पिता भी सख्त नियमों का पालन करके ही अपनी बेटियों से मिल सकते हैं।

हरियाणा शिक्षा विभाग से रिटायर्ड हेडमास्टर विजय सिंह यादव ने 2021 में प्रधानाचार्य के रूप में नियुक्त होने के बाद विद्यालय ने एक नई दिशा पकड़ी। उन्होंने एक मिशन की तरह घर-घर जाकर बच्चियों का दाखिला करवाया। जहां कभी शून्य छात्राएं थीं वहां 82 बच्चियों ने एडमिशन लिया। उनकी मेहनत का फल 5 सितंबर 2022 को मिला जब महेंद्रगढ़ जिले में सबसे ज्यादा छात्रवृत्ति के लिए उपायुक्त ने उन्हें प्रशंसा पत्र दिया।

ये है विद्यालय में दाखिले की नीति

यहां अनाथ बच्चियों, एससी, बीसी, बीपीएल, सिंगल गर्ल चाइल्ड और अनेक बालिकाओं वाले परिवारों की बेटियों को प्राथमिकता दी जाती है। कोविड के दौरान माता-पिता गंवाने वाली बच्चियों के लिए भी यह विद्यालय एक नई आशा बना।

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