December 21, 2024

श्री अकाल तख्त साहिब को सौंप जा सकती है ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ जांच

एसजीपीसी की अंतरिम कमेटी की बैठक 23 दिसंबर को अमृतसर में

चंडीगढ़: तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ एक पुराने परिवारिक मामले में आई शिकायत की जांच श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से करवाई जा सकती है। दो दिन पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अंतरिम कमेटी ने इस मामले में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित करके ज्ञानी हरप्रीत सिंह की सेवाएं 15 दिन के लिए निलंबित कर दी गई थीं। जिसको लेकर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुवीर सिंह बहुत नाराज थे।

ज्ञानी रघुवीर सिंह शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अंतरिम कमेटी की बैठक में लिए गए इस फैसले के बाद कमेटी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी को फोन कर करके गहरी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि अंतरिम कमेटी किसी जत्थेदार के खिलाफ जांच कैसे कर सकती है ? यह अधिकार केवल श्री अकाल तख्त के पास है। अगर अकाल तख्त के जत्थेदार के खिलाफ कोई शिकायत हैं तो उसकी जांच केवल श्री हरमिंदर साहिब के हेड ग्रंथी ही कर सकते हैं। ज्ञानी रघवीर सिंह ने इस्तीफा देने की बात तक कह दी जिसको लेकर एसजीपीसी के प्रधान सहित अकाली दल की अन्य सीनियर लीडरशिप ने उनको मनाने का कल दिन भर प्रयास किया।

कल ही यह तय हो गया था कि जांच श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार करवा लें लेकिन उससे पहले एसजीपीसी को अपना फैसला बदलना पड़ना था इसलिए अंतरिम कमेटी की मीटिंग बुलानी जरूरी थी। एसजीपीसी के सूचना विभाग ने इस संबंधी नोटिस जारी कर दिया है। यह बैठक 23 दिसंबर को एसजीपीसी के अमृतसर स्थित मुख्यालय में बुलाई गई है। यह भी कहा गया है कि कमेटी के सदस्यों को नोटिस जारी कर दिया गया है।

पिछले दिनों जब ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इंटरनेट मीडिया पर उनका चरित्र हनन करने की कोशिशों से क्षुब्द होकर इस्तीफा सौंप दिया था तब भी ज्ञानी रघुवीर सिंह ने धमकी दी थी कि यदि ऐसी हरकतें बंद नहीं हुईं तो सभी तख्तों के सिंह साहिबान इस्तीफा दे देंगे।

अकाली राजनीति की जानकारी रखने वालों का कहना है कि यह एक तरह से तख्तों के जत्थेदारों के साथ सीधा टकराने जैसा है। बुद्धिजीवी और सिख मामलों के जानकार पूर्व एसजीपीसी सदस्य अमरिंदर सिंह ने कहा कि अकाली दल लंबे समय से तख्त साहिब के जत्थेदारों के माध्यम से अपने मन माफिक आदेश जारी करवाता आ रहा है।

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को माफी देना भी उसी का हिस्सा था जिसके लिए सुखबीर बादल ने खुद दो दिसंबर को यह कबूल किया कि उनसे यह गलती हुई है।