विश्व का नेतृत्व करने की तरफ अग्रसर भारत
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विश्व का नेतृत्व करने की तरफ अग्रसर भारत
15 अगस्त को भारत अपना 77 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। लगभग 200 वर्षों की अंग्रेजों की गुलामी के उपरांत 15 अगस्त 1947 को हजारों देशभक्तों की कुर्बानियों के फलस्वरूप देश आजाद हुआ था। इससे पहले भी सैकड़ों वर्ष देश के अधिकांश भागों पर विदेशी आक्रांता अपना शासन चलते रहे थे व भारतीय उक्त काल में भी गुलामी का ही जीवन जीते रहे थे। वर्षों से विदेशी शासन व हमलावरों के शोषण व अत्याचारों का शिकार रहा देश आजादी मिलने के समय रोटी, कपड़ा, मकान जैसी समस्याओं से जूझ रहा था। लेकिन देशवासियों की मेहनत से आजादी के 76 वर्ष बाद भारत विश्व में एक बड़ी शक्ति के रूप में उभर पाने में सफल हुआ है।
आजादी के समय देश के सामने चुनौतियों का पहाड़ था। बुनियादी ढांचे की स्थिति कमजोर थी। सबके लिए भरपेट भोजन उपलब्ध कराना मुश्किल था। रक्षा के क्षेत्र में पूरी तरह आयात पर निर्भर थे। लेकिन देशवासियों की मेहनत के परिणाम स्वरूप आज वैश्विक मंच पर भारत की बात न सिर्फ सुनी जा रही है बल्कि कई मामलों में भारत दुनिया की अगुवाई कर रहा है। कभी जिन वस्तुओं के लिए देश पूरी तरह आयात पर निर्भर था आज उनमें न सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ है बल्कि कई वस्तुओं के निर्यात में भी आज देश तेजी से आगे बढ़ रहा है।
देश आत्मनिर्भरता एवं स्वावलंबन की नई कहानी लिख रहा है। यह उपलब्धियां गर्व की अनुभूति कराती है। अनाज के मामले में आयात पर निर्भर रहने वाला भारत कृषि उत्पादों के मामले में आत्मनिर्भर ही नहीं हुआ है बल्कि कई प्रकार के अनाजों का निर्यात भी कर रहा है। रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में अन्य देशों पर निर्भर रहने वाला भारत आज अनेकों रक्षा उपकरणों का उत्पादन ही नहीं कर रहा है बल्कि अन्य देशों को निर्यात भी कर रहा है। मिसाइल उत्पादन के क्षेत्र में देश बड़ी शक्ति बनकर उभर कर सामने आया है।
मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था का सदस्य बनने के बाद भारत ने ब्रह्मोस और आकाश जैसी मिसाइल के निर्यात की दिशा में कदम बढ़ाया है। भारत लगातार पृथ्वी, आकाश, नाग, अस्त्र, निर्भय, शौर्य, जैसी मिसाइल के संस्करण पर काम कर रहा है। कभी छोटे-छोटे रक्षा उपकरणों के लिए भी आयात पर ही निर्मित रहने वाला भारत आज लड़ाकू विमान बनाने के साथ-साथ इनका निर्यात भी करने जा रहा है।
कई देश आज भारत से तेजस विमान खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं। आर्थिक मोर्चे पर भारत विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन कर सामने आया है। देशवासियों की कड़ी मेहनत व लगन के फलस्वरूप भारत ने लगभग हर क्षेत्र में दुनियां के समक्ष अपने आप को साबित किया है। लेकिन यह भी सत्य है की अनेक क्षेत्रों में अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। गरीबी, बेरोजगारी, बढ़ती जनसंख्या अभी भी चुनौती बनीं हुई है। स्वास्थ्य सेवाओं तक हर व्यक्ति की पहुंच और सबके लिए उच्च शिक्षा देने जैसी चुनौतियां अभी शेष है। आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना होगा। किसानों की उन्नति के लिए भी सुधार करने की आवश्यकता है। ग्रामीण विकास में अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
इसके लिए आवश्यक है कि विकास की राह पर बढ़ते भारत को भ्रष्टाचार और मुफ्तखोरी के जाल से बाहर निकालना होगा। राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी लाभ के लिए आम जनता को मुफ्त खोरी की तरफ धकेलना की प्रवृत्ति देश के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। जिस तेजी से भारत ने विकास किया है उसे देखते हुए ही विश्व मंच पर भारत को सम्मान मिल रहा है। देश के विकास की रफ्तार बता रही है कि भारत को विश्व गुरु के रूप में देखने की भारतीयों की इच्छा भी शीघ्र ही पूरी हो सकेगी। – हिमाल चंद शर्मा