December 24, 2025

महंगाई की मार : फलों और सब्जियों के दाम फिर से बढ़ने लगे

जिला में 250 रुपए प्रति किलो बिक रहा सेब,50 रुपए का कीवी फल
80 रुपए प्रति किलो बिक रही गोभी, शिमला मिर्च, वीन व टमाटर

अजय कुमार, बंगाणा,

वर्षा ऋतु आते ही फलों व सब्जियों के दामों में लगातार बढ़ोतरी होने लगी है। फलों व सब्जियों के दाम बढ़ने से आम व्यक्ति को महंगाई महसूस होने लगती है। सब्जियों के दाम बढ़ने से मध्यम वर्ग के लोग सब्जियों से अक्सर दूरी बनाने लगते हैं। जिला ऊना के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में टमाटर, शिमला मिर्च, गोभी व वीन 80 रुपए से लेकर 90 रुपए तक बेची जा रही है जबकि कद्दू ,घीया, बैंगन 40 रुपए प्रति किलो रिटेल की दुकानों पर बेचे जा रहे हैं। प्याज 25 रुपए प्रति किलो व आलू 20 रुपए किलो दुकानों पर बिक रहा है जबकि खीरा 50 रुपए किलो के दाम पर मिल रहा है। इसी प्रकार विश्व भर में प्रसिद्ध हिमाचल का सेब हिमाचली क्षेत्र में 250 रुपए प्रति किलो के हिसाब से रिटेल दुकानदारों द्वारा बेचा जा रहा है। कीवी फल मात्र एक 50 रुपए में बिक रहा है। कीवी फल को चिकित्सक बीमार व्यक्तियों के उपचार के दौरान खाने के लिए बताते हैं लेकिन जिला की दुकानों में एक कीवी फल की कीमत 50 रुपए है।

बरसात का मौसम आते ही फलों व सब्जियों के दामों में एकाएक उछाल आ गया है। जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में सब्जियों व फलों के दाम और अधिक बढ़ सकते हैं। बरसात का मौसम आते ही समीपवर्ती राज्यों से जिले की मंडियों में कम मात्रा में सब्जी पहुंचती है जबकि हिमाचल के ऊपरी जिलों से सब्जियां ऊना पहुंचती हैं व महंगे दामों पर बिकिनी शुरू हो जाती हैं। इतना ही नहीं प्रदेश के ऊपरी जिलों में सेब की बंपर पैदावार होती है व 30 से 40 रुपए प्रति किलो थोक के भाव व्यापारियों को बेचा जाता है लेकिन प्रदेश के निचले जिलों में यही सेब 200 से लेकर 250 रुपए तक बेचा जा रहा है।

ग्रामीण क्षेत्रों के बागवानों के लिए सब्जी मंडी की व्यवस्था नहीं

जिले के ग्रामीण क्षेत्रों बंगाणा, खुरवांई, लठियाणी, जोल, रायपुर, बीहड़ू आदि में सब्जी मंडियों की व्यवस्था नहीं की गई है। अगर इन क्षेत्रों में सब्जी मंडी की व्यवस्था हो जाए तो इन क्षेत्रों के किसान व बागवान भी सब्जियों की पैदावार करके स्थानीय मंडियों में सब्जी बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं लेकिन किसानों व बागवानों मांग के बावजूद भी इन क्षेत्रों में सब्जी मंडियों की व्यवस्था नहीं हो पाई है।

शिवा व जाइका प्रोजेक्ट भी नहीं कर पा रहे सब्जियों को मंडियों में पहुंचाने की व्यवस्था

केंद्र व प्रदेश सरकार के सहयोग से जिले में जाइका व शिवा प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपए की राशि खर्च की जा रही है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के किसानों व बागवानों की सब्जियों व फसलों को मंडी के तक पहुंचाने की व्यवस्था अभी तक नहीं हो पा रही है। इन प्रोजेक्ट को भी जिला में आरंभ हुए 3 से 4 वर्ष का समय हो चुका है।

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