March 14, 2025

खालिस्तानियों पर सरकार का बड़ा ऐक्शन, ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ पर लगा बैन 5 साल बढ़ाया

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नई दिल्ली : 

नई दिल्ली – केंद्रीय गृह मंत्रालय ने खालिस्तानी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस पर लगाए गए प्रतिबंध को 5 और वर्षों के लिए बढ़ा दिया है। यह प्रतिबंध पहली बार 2019 में लगाया गया था। भारत सरकार ने एसएफजे को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया हुआ है। सरकार ने एसएफजे को देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा मानते हुए यह कदम उठाया था। एसएफजे एक कट्टरपंथी खालिस्तानी संगठन है जो पंजाब में अलगाववादी आंदोलन को बढ़ावा देने की कोशिश करता रहा है।

एसएफजे पर प्रतिबंध जारी करने वाली गृह मंत्रालय की 2019 की अधिसूचना में कहा गया, “सिखों के लिए तथाकथित जनमत संग्रह की आड़ में, एसएफजे वास्तव में पंजाब में अलगाववाद और उग्रवादी विचारधारा का समर्थन कर रहा है। वह विदेशी धरती पर सुरक्षित ठिकानों से काम कर रहा है और अन्य देशों में विरोधी ताकतों द्वारा सक्रिय रूप से समर्थित है।” वर्तमान में, भारत में पन्नू और एसएफजे के खिलाफ लगभग एक दर्जन मामले दर्ज हैं।

बता दें कि सिख्स फॉर जस्टिस एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत के पंजाब राज्य में एक स्वतंत्र सिख राष्ट्र ‘खालिस्तान’ की स्थापना करना है। यह संगठन 2007 में स्थापित हुआ था और इसका मुख्यालय अमेरिका में स्थित है। एसएफजे का दावा है कि वे सिखों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए काम कर रहे हैं और उन्होंने कई देशों में जनमत संग्रह (रेफेरेंडम) आयोजित करने की कोशिश की है, ताकि खालिस्तान की मांग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिल सके। एसएफजे की स्थापना 2007 में गुरपतवंत सिंह पन्नून ने की थी, जो अमेरिका में रहने वाला एक वकील है। भारत पन्नू को आतंकवादी मानता है। भारत सरकार ने एसएफजे को एक प्रतिबंधित संगठन घोषित कर रखा है, और इसके संस्थापक और प्रमुख नेताओं पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनमें देशद्रोह और आतंकवाद के आरोप शामिल हैं। एसएफजे के अभियान और गतिविधियों को भारत में हिंसात्मक और राष्ट्रविरोधी माना गया है, और इसे भारतीय सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा समझा जाता है। भारत ने इसके नेताओं को आतंकवादी घोषित किया हुआ है।