चुनाव परिणामों को लेकर विदेशी मीडिया ने भी किया मोदी मैजिक पर भरोसा
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लोकसभा के लिए हुए अंतिम चरण के मतदान उपरांत विभिन्न मीडिया समूहों द्वारा जारी किए गए एग्जिट पोल या पूर्वानुमानों में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए को भारी बहुमत दिखाए जाने से यह माना जा रहा है कि एक बार फिर मोदी सरकार देश का नेतृत्व करेगी। हालांकि विपक्षी इंडी गठबंधन इन एग्जिट पोल को मोदी मीडिया पोल बता रहा है व दावा कर रहा है कि 4 जून को नतीजे आने के उपरांत इंडी गठबंधन बहुमत प्राप्त करेगा व गठबंधन ही सरकार बनाएगा।
चुनाव के सात चरणों की तिथियों की घोषणा होने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह नारा कि ‘इस बार 400 पार’ हावी होता दिखाई पड़ रहा था, लेकिन तीसरे व चौथे चरण के आते-आते विपक्षी दलों ने भाजपा व सरकार के 400 पार के नारे को संविधान बदलने की मंशा का आरोप लगा ऐसी घेराबंदी की कि 400 पार के नारे की आवाज धीमी होने लगी थी। 400 पार के नारे की गूंज बेशक कम हुई लेकिन ‘एक बार फिर मोदी सरकार’ मतदाता के दिलो-दिमाग के करीब रहा। इस बात को समझते हुए विपक्ष ने मोदी को ही अपने निशाने पर रखा। भाजपा व मोदी की घेराबंदी करने के लिए ही इंडी गठबंधन अनेक मतभेदों के बावजूद भी अस्तित्व में आया। चुनाव परिणाम आने के बाद यह गठबंधन रहता है या टूट जाता है अब इसी बात पर सब की निगाहें लगी हुई हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी तीसरी पारी को सुनिश्चित करने के लिए देश भर में कुल 206 रैलियां कीं। पंजाब के होशियारपुर में प्रधानमंत्री की आखिरी रैली थी, इसके अलावा रोड शो और साक्षात्कार के माध्यम से भी अपनी बात कही। राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा के केंद्र बिन्दु बने मोदी विदेशी मीडिया पर भी छाये रहे। अमेरिका के प्रमुख अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा कि मोदी की ताकत बढ़ती जा रही है और भारत के लोग उन्हें और मजबूत बनाते हुए दिख रहे हैं। अखबार ने भाजपा के इस चुनाव में अपने हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे के साथ उतरने और अपनी कल्याणकारी योजनाओं का जोर-शोर से प्रचार करने की बात लिखी है। वहीं, यह भी लिखा है कि भाजपा के समर्थक उससे काफी खुश हैं और लगातार दो बार सत्ता में रहने के बाद भी मोदी लोकप्रिय बने हुए हैं। आखिरी चरण के मतदान के पूर्व अखबार ने मोदी को पार्टी के लिए ऊंचे मानक स्थापित करने वाला बताते हुए उनके रक्षात्मक नजर आने और लंबे समय से निराश विपक्ष को गति मिलने की बात भी लिखी है। इंग्लैंड के समाचार पत्र डेली एक्सप्रेस के सहायक संपादक सैम स्टीवेंसन ने भारतीय चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग के बाद कहा कि समय आ गया है कि अब भारत विरोधी बकवास का अंत हो। हमें नए भारत की सच्ची, सकारात्मक चीजों को सुनना चाहिए। मैंने बुरका पहनी महिलाओं को मोदी की रैली में जाते देखा है। असहमति रखने वालों को विरोध की अनुमति देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की तस्वीर है, जिसे पश्चिम के कई मीडिया घराने कवर नहीं करते।
सैम ने वीडेम इंस्टीट्यूट की लिबरल डेमोक्रेटिक इंडेक्स रिपोर्ट को भी खारिज किया, जिसमें चुनावी निरकुंशता की बात थी। ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन ने लिखा कि नरेंद्र मोदी की भाजपा को भरोसा है कि इन चुनावों में उसका प्रदर्शन पहले से और बेहतर होने जा रहा है। भाजपा पर आरोप लग रहे हैं कि उसके सत्ता में आने से 10 वर्ष में लोकतंत्र कमजोर हुआ है। अखबार ने चुनावी विश्लेषकों के हवाले से लिखा है कि दशकों बाद भारत में ऐसा चुनाव हो रहा है, जिसके परिणामों का अंदाजा सबको है। गार्जियन ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ताकत उनका हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडा है, जिसमें देश के अल्पसंख्यकों को हाशिए पर डाला जा रहा है। इसके साथ ही विपक्ष के आरोपों को शामिल करते हुए यह भी लिखा है कि विपक्ष को चिंता है कि भाजपा तीसरी बार सत्ता में आती है तो वह देश का संविधान बदल देगी, जबकि भाजपा ने इन सभी आरोपों को मनगढ़ंत बताया है।
अलजजीरा ने भारतीय चुनावों की विशालता को रेखांकित किया है। साथ ही राम मंदिर को केंद्रीय मुद्दा बताते हुए लिखा है कि यह बीजेपी के हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे का प्रमुख आधार है। प्रख्यात अमेरिकी एक्जीक्यूटिव और भारत-अमेरिका संबंधों के विशेषज्ञ रान सोमर्स ने कहा कि 2024 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े बहुमत से जीत हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के शब्दों में ‘2047 तक विकसित भारत’ एक मिशन है, जिसमें सिर्फ महत्वाकांक्षा की नहीं, बल्कि आर्थिक विकास, मजबूत शासन सुधार, स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग और वैज्ञानिक प्रगति को शामिल करते हुए एक बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है।
चुनाव के सातवें चरण के समय मोदी की कन्याकुमारी के प्रसिद्ध विवेकानंद रॉक मेमोरियल में 45 घंटे तक चलने वाले ध्यान साधना को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने जो कुछ कहा उससे यही बात स्पष्ट होती है कि प्रधानमंत्री मोदी इस चुनाव में मुख्य केंद्र बिन्दू बनकर उभरे, शेष मुद्दे गोण हो गये। चुनाव परिणाम आने के बाद हार-जीत भी अब मोदी के साथ ही जोडक़र देखी जाएगी।
यह सही है कि एग्जिट पोल या समाचार पत्रों में किए जाने वाले आकलन एक पूर्वानुमान मात्र ही होते हैं व सही तस्वीर चुनाव परिणाम आने के उपरांत ही स्पष्ट होती है।