February 23, 2025

फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’

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22 सालों से छिपा कौन सा सत्य है जो अब सामने लाया गया

27 फरवरी 2002 को आधुनिक भारत के इतिहास का काला अध्याय लिखा गया था। इस दिन हमारे स्वतंत्र धर्मनिरपेक्ष देश में सुबह 7:43 पर गुजरात के गोधरा स्टेशन पर 23 पुरुष और 15 महिलाओं और 20 बच्चों सहित 58 लोग साबरमती एक्सप्रेस के कोच नंबर एस6 में जिंदा जला दिए गए थे। उन लोगों को बचाने की कोशिश करने वाला एक व्यक्ति भी 2 दिनों के बाद मौत की नींद सो गया था। गुजरात पुलिस के सहायक महानिदेशक जे महापात्रा ने कहा था कि दंगाइयों ने ट्रेन के गोधरा पहुंचने से बहुत पहले से इस्तेमाल के लिए पेट्रोल से लैस तैयार कर ली थी। इसके बाद, राज्य ने पूरे राज्य में हिंसा देखी। लेकिन जब भी इस घटना की कोई मीडिया रिपोर्टिंग होती है तो ऐसा लगता है कि पहले, राज्यव्यापी हिंसा सिर्फ एक ही समुदाय विशेष की तरफ से हुई थी और इसमें केवल मुसलमान ही पीड़ित थे। लेकिन ये पूरी तरह से असत्य है। क्योंकि 2002 में गोधरा की आग के कारण गुजरात जल गया था और तथाकथित नरसंहार के शिकार लोगों में से एक चौथाई हिंदू थे। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि ट्रेन आपदा के पीड़ितों की पहचान मीडिया द्वारा कभी सार्वजनिक क्यों नहीं की गई। क्या ऐसा इसलिए था क्योंकि इसके बाद के परिणाम को मुस्लिम ‘नरसंहार’ के रूप में चित्रित करने का एक ठोस प्रयास किया गया था!

कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा के परिणामस्वरूप जिंदा जलाए गए 59 व्यक्तियों में से केवल 41 के नाम अब तक जनता के सामने जारी किए गए हैं। अन्य अठारह अज्ञात लोग कौन थे? क्या आप चाहते हैं कि उन 18 लोगों को यूं ही भुलाया न जाए, या आप चाहते हैं कि यह मुद्दा सिर्फ एक सवाल से बढ़कर देश की कहानी बन जाए? साबरमती एक्सप्रेस को किसने जलाया से ज्यादा फिल्म का फोकस है – किसने छिपाया, किसने षड्यंत्र रचा।

कथित गंगा-जमुनी तहजीब में ये दुश्मनी कैसे संभव है? 27 फरवरी की उस मनहूस सुबह को हुआ क्या था? कौन कौन लोग उस साजिश में शामिल थे। किन किन सरकारों ने बाद में गोधरा के गुनहगारों को बचाने की साजिश की थी। इस घटना के 8297 दिन बाद यानी 22 वर्षों के बाद साबरमती रिपोर्ट के रूप में सामने आई है।

हैरानी ये है कि ये लोग गुजरात दंगों की बात तो करते हैं लेकिन इनमें से कोई भी भूल कर गोधरा कांड का जिक्र नहीं करता। वो गोधरा कांड जिसमें ट्रेन की बोगी में 59 कारसेवकों को जिंदा जला दिया गया था। वो गोधरा कांड जिसके बाद पूरे गुजरात में दंगे शुरू हुए। वो गोधरा कांड जिसके बाद 31 लोगों को उमक्रैद की सजा सुनाई गई। 27 फरवरी, 2002 भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है, जिसने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की भावना को आग लगा दी थी। इस घटना के बाद पूरा गुजरात सुलग उठा औऱ सांप्रदायिक दंगे फैल गए। जिसमें 1200 से भी ज्यादा लोगों ने जान गंवाई। इस साल इस त्रासदी के 22 बरस हो रहे हैं। जब गुजरात के गोधरा में एक ट्रेन को आग लगा दी गई थी। जिसमें 59 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। हमें लगातार एक मुस्लिम ‘नरसंहार’ की याद दिलाई जाती है जो गुजरात में तब हुआ जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्लीन चिट दिए जाने के बावजूद जहां मोदी आरोपी हैं।

इस फिल्म को बीजेपी ने हाथों-हाथ लिया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह से लेकर तमाम बड़े नेताओं ने फिल्म की सार्वजनिक रूप से तारीफ की है। बीजेपी शासित राज्यों में फिल्म को टैक्स फ्री किया गया है। पार्टी के नेता फिल्म देखने के लिए स्पेशल स्क्रीनिंग का आयोजन कर रहे हैं। फिल्म 2002 में हुए गुजरात दंगे से जुड़ी घटना पर बनाई गई है। इसमें कहीं न कहीं घटना के परिप्रेक्ष्य में बीजेपी की ओर से दिए गए तर्क को सही बताया गया है। बीजेपी का कहना है कि फिल्म के बहाने इसमें सही बात बताई गई है। दरअसल, फिल्म के बहाने बीजेपी विपक्ष के नैरेटिव को नए सिरे से काउंटर कर रही है। पिछले कुछ बरसों में बीजेपी ने तमाम फिल्मों का खुलकर सपोर्ट किया है, जो उसके नैरेटिव के पक्ष में लगीं। पार्टी ने हमेशा यह आरोप लगाया कि बॉलिवुड उसकी विचारधारा का विरोधी रहा है। ऐसे में जब भी उसे ऐसी फिल्में देखने को मिलती हैं, जो उसकी अपनी विचारधारा के करीब हों तो वह उनका पुरजोर समर्थन करती है। बीजेपी नेता आने वाले दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में साबरमती रिपोर्ट के स्पेशल शो आयोजित करने की तैयारी कर चुके हैं।