February 23, 2025

चुनावी वादों पर लगेगा अंकुश

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राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों के दौरान लोक लुभावने वादे करने की प्रवृत्ति

चुनावी वादों पर लगेगा अंकुश

राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त रेवड़ियां बांटने की घोषणा करना अब होगा मुश्किल

राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों के दौरान लोक लुभावने वादे करने की प्रवृत्ति दिनों दिन बढ़ती जा रही है। यह वादे कैसे पूरे होंगे, इस पर विचार किए बिना राजनीतिक दल मतदाताओं को भ्रमित व प्रलोभित करने के लिए चुनावों के दौरान ढेरों वादे कर देते हैं। चुनाव जीतने के बाद यह वादे राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी मुसीबत का कारण बन जाते हैं। लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया में पहले से ही राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए ऐसे वादों का चुनावी घोषणा पत्र जारी करते रहे हैं। लेकिन अब इसका नया नामकरण हो गया है। अब इसको चुनावी गारंटी कहा जाने लगा है। मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, महिलाओं को हर माह 2000 रुपए, मुफ्त बस सफर, मुफ्त राशन, मुफ्त घी, मुफ्त तेल, हर साल लाखों सरकारी नौकरियां, दूध खरीद 100 रुपए लीटर, गोबर खरीद 2 रुपए किलो, सबको मकान, सबको दुकान, मतलब जो मुंह में आए उसे चुनावी गारंटी कह कर घोषित कर दिया जाता है। राजनीतिक पार्टियों मानती है कि चुनाव जीतने के बाद देखा जाएगा कैसे करना है। राजनीतिक दल यह नहीं बताते कि यह सब करने के लिए धन कहां से आएगा। वे यह घोषणा नहीं करते कि इन चुनावी गारंटियों को पूरा करने के लिए वे कोई नया टैक्स नहीं लगाएंगे। चुनाव जीतने के बाद राजनीतिक दल ऐसी घोषणाएं या तो पूरी नहीं कर पाते या फिर जो थोड़ी बहुत घोषणाएं पूरी करते भी हैं उनसे देश- प्रदेश की अर्थव्यवस्था संकट में आ जाती है। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भारी टैक्स लगाकर आम लोगों पर ही इसका बोझ डाल दिया जाता है। चुनावों के दौरान मतदाताओं को लुभाने का यह तरीका काफी पहले से चल रहा है लेकिन उस दौर में इसकी कुछ सीमाएं थीं। लेकिन पिछले एक दशक से हो रहे चुनावों में यह लगातार बढ़ता जा रहा है। दिल्ली विधानसभा चुनावों में शुरू हुआ भारी मात्रा में रेवड़िया बांटने का यह सिलसिला पंजाब, हिमाचल, राजस्थान, कर्नाटक आदि राज्यों से होता हुआ समूचे देश में फैल गया है। एक तरह से यह चुनाव जीतने का आसान तरीका बनकर सामने आया है।

हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि चुनावों के दौरान मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की घोषणा करने से पहले अब राजनीतिक दलों को बताना होगा कि इसके लिए धन का क्या प्रावधान किया गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि कई राजनीतिक पार्टियों लोक लुभावने वादे घोषणा पत्र में शामिल करती है लेकिन यह नहीं बताती है कि सत्ता में आने पर उन्हें पूरा कैसे करेंगे। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक अब ऐसे वादे पूरे कैसे किए जायेंगे, राजनीतिक दलों को इसका पूरा विवरण प्रस्तुत करना होगा। पूरी वित्तीय व्यवस्था का विवरण चुनाव आयोग के समक्ष रखना होगा।

यह बहुत ही सराहनीय है कि चुनाव आयोग इस दिशा में कुछ विचार कर रहा है। ऐसी घोषणाएं करने पर प्रतिबंध लगाना आज के समय में आवश्यक बन गया है। क्योंकि मतदाताओं को इस तरह से प्रलोभित करने से गैर जिम्मेदार राजनीतिक दलों के सत्ता में आने की संभावनाएं बढ़ती है। दूसरे ऐसे गैर जिम्मेदार दलों का मुकाबला करने के लिए देश के जिम्मेदार राजनीतिक दलों को भी ऐसी ही घोषणाएं करनी पड़ रही है। मुख्य चुनाव आयुक्त के वक्तव्य से स्पष्ट होता है कि चुनाव आयोग मुफ्त चुनावी रेवड़ियां बांटने की घोषणा करने वाले राजनीतिक दलों पर नकेल कसने के लिए सख्त कदम उठाने जा रहा है। स्वस्थ लोकतंत्र की मजबूती के लिए इस दिशा में सख्ती करने की आज बेहद आवश्यकता है।

                         -हिमाल चन्द शर्मा