पितृ पक्ष में पितरों की शांति के लिए किया जाता है श्राद्ध : पं संदीप शर्मा
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पितृ पक्ष में पितरों की शांति के लिए किया जाता है श्राद्ध : पं संदीप शर्मा
दौलतपुर चौंक, ( संजीव डोगरा ) हमारे हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है। पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण किया जाता है। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पितरों के सम्मान में किए जाने वाले मोक्ष के अनुष्ठान को श्राद्ध कहा जाता है। उन्हें तर्पण करने की प्रक्रिया को तर्पण कहा जाता है। तर्पण करने का अर्थ है पिंडदान करना। श्राद्ध भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक कुल 16 दिनों तक चलते हैं। इन 16 दिनों में हमारे पूर्वज हमारे घर में निवास करते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक चलेगा। इस समय में दान पुण्य और तर्पण का बहुत महत्व है। पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से उनका आशीर्वाद हम पर बना रहता है।
पौराणिक कथा के अनुसार श्राद्ध करने की भी पूरी विधि होती है। यदि श्राद्ध पूरी विधि से न किया जाए तो उसका फल प्राप्त नहीं होता है। पितरों की आत्मा को तृप्त करने के लिए सही विधि से श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शास्त्रों के अनुसार कर्म पिंडदान और श्राद्ध हमेशा योग्य पंडितों से करवाने चाहिए।
श्राद्ध कर्म में ब्राह्मणों को दान दिया जाता है और यदि गरीबों और जरूरतमंदों की मदद कर सकें तो उसके कई पुण्य प्राप्त होते हैं।
इसके अलावा गाय, कुत्ते और कौवे जैसे पशु-पक्षियों को भी भोजन देना चाहिए। भोजन अर्पित करते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए।
यदि संभव हो तो श्राद्ध गंगा तट पर करना चाहिए। आप इसे अपने घर में भी कर सकते हैं।
श्राद्ध कर्म दोपहर के समय में शुरू करना चाहिए। इसके साथ ही मंत्रों का उच्चारण और तर्पण करना चाहिए।
श्राद्ध का महत्व
गरूड़ पुराण के अनुसार पितरों की पूजा में लग जाने पर पितर उन्हें आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि,बल, पशु, सुख, धन और धान्य प्रदान करते हैं।
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार श्राद्ध से संतुष्ट होकर पितर श्राद्ध कर्ता को दीर्घायु, संतान, धन , ज्ञान, सुख, राज्य, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करते हैं।
ब्रह्मपुराण के अनुसार जो व्यक्ति शाक सब्जियों का प्रयोग करके भी श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध करता है, उसके परिवार में कोई दुखी नहीं होता है।
देव स्मृति के अनुसार श्राद्ध की इच्छा रखने वाला व्यक्ति रोगी नहीं होता, स्वस्थ रहता है, दीर्घायु होता है, योग्य संतान वाला होता है, धनवान होता है और धन कमाने वाला होता है। श्राद्ध करने वाला मनुष्य विभिन्न शुभ लोकों को प्राप्त होता है और लक्ष्मी से परिपूर्ण होता है।