April 30, 2025

नवजात बच्ची को प्रसाद खिलाते समय न करें ये गलतियां

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नवजात बच्ची को प्रसाद खिलाते समय न करें ये गलतियां

नवजात बच्ची को प्रसाद खिलाते समय न करें ये गलतियां

सेहत के साथ-साथ अस्था भी बनी रहेगी

सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्रि के दौरान भक्तजन मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए उनकी उपासना और व्रत रखते हैं। नवरात्रि व्रत का पारण आठवें और नौवें दिन, यानी के अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन किया जाता है। कन्या पूजन के दौरान छोटी-छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रुप मानकर पूजा-अर्चना करने के बाद प्रसाद खिलाया जाता है। इस बार नवरात्रि की अष्टमी तिथि 5 अप्रैल और रामनवमी की तिथि 6 अप्रैल को है। यदि आपकी नवजात कन्या कंजक पूजन में शामिल होने जा रही, तो इन बातों का रखें ध्यान।नवजात शिशु को नवरात्रि प्रसाद खिलाते समय इन बातों का रखें ध्यान

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ठोस आहार न दें: नवजात शिशु सिर्फ 0-6 महीने केवल मां का दूध या फॉर्मूला दूध ही पचा पाते हैं। भूलकर भी नवजात शिशु को ठोस या कम-ठोस आहार प्रसाद के रुप में जैसे हलवा, चना, पूरी, मिठाई खाने के लिए बिल्कुल न दें। ऐसा करने से उनका पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

तरल और सुरक्षित विकल्प चुनें: आप नवजात शिशु को प्रसाद के रुप में कुछ खिलाना ही चाहते हैं, तो फॉर्मूला दूध ही बेहतर विकल्प होगा। थोड़ा सा दूध आप शिशु को पिला सकते हैं। जिसे प्रसाद के रुप में माना जाता है।

पानी न पिलाएं: 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को भूलकर भी पानी नहीं पिलाना चाहिए। इस उम्र के बच्चों को पानी की आवश्यकता नहीं होती है। शिशु के लिए केवल मां का दूध या फॉर्मूला मिल्क में पर्याप्त मात्रा में पानी मौजूद होता है।

मानसिक भाव: कन्या पूजन के दौरान सबसे मुख्य भाव श्रद्धा और सम्मान है। आप नवजात शिशु को ठोस प्रसाद नहीं खिलाएं, इसकी जगह आप शिशु को नए वस्त्र पहना सकती हैं, माथे पर तिलक लगा सकते हैं और उसे प्यार दे सकते हैं। यह सब भी कन्या पूजन का हिस्सा माना जा सकता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।