बम की धमकियों से निपटने के लिए एक्शन प्लान बनाए दिल्ली सरकार: हाई कोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली के स्कूलों को लगातार बम से उड़ाने की धमकियां मिल रही हैं। इससे बच्चे और उनके परिजन असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसे देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने आप सरकार को निर्देश दिए हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बम की धमकियों और इस तरह की आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया बनाने और व्यापक एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया। इसके लिए कोर्ट ने आठ सप्ताह का समय दिया है। यह निर्देश उस याचिका पर आया जिसमें दिल्ली सरकार की ओर से स्कूलों में बम धमकियों को रोकने में विफलता पर चिंता व्यक्त की गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, एक शिकायत तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए। फीडबैक के आधार पर योजना की समीक्षा और इस पर अमल होना चाहिए। याचिकाकर्ता ने पहले कहा था कि पर्याप्त और समय पर उपाय करने में अधिकारियों की विफलता ने इन शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों, शिक्षकों, कर्मचारियों और अन्य हितधारकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।
दिल्ली हाई कोर्ट में एडवोकेट अर्पित भार्गव द्वारा ने दिल्ली सरकार द्वारा स्कूलों में बम धमकियों को रोकने या निपटने में विफलता को लेकर याचिका डाली थी। याचिका में स्कूलों को लगातार मिल रही बम धमकियों को रोकने या निपटने में विफलता पर चिंता व्यक्त की गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव नरुला ने 14 नवंबर 2024 को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि इस तरह के खतरों से निपटने के लिए जारी एसओपी में सभी स्टेकहोल्डर्स की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाए, जिनमें लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियां, स्कूल मैनेजमेंट और दिल्ली नगर निगम के अधिकारी शामिल हों ताकि इनके बीच समन्वय और क्रियान्वयन में कोई बाधा ना आए। इसके साथ ही अदालत ने प्रभावित पक्षों और स्टेकहोल्डर्स की चिंताओं का समाधान करने के लिए एक शिकायत निवारण सिस्टम की स्थापना का भी आदेश दिया।
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि आधुनिक दुनिया में बम की धमकियों को पूरी तरह खत्म नहीं की जा सकती और ऐसी धमकियों से निपटने के लिए एक फुलप्रूफ सिस्टम की उम्मीद करना व्यावहारिक नहीं है लेकिन सरकार को इन बदलती हुई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार जरूर रहना चाहिए।
