डीलर किसानों को डीएपी उर्वरकों के वैकल्पिक स्रोतों के बारे में सूचित करें: कृषि विभाग
राज घई, श्री आनंदपुर साहिब, कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान डीएपी उर्वरक के वैकल्पिक स्रोतों को अपनाकर अपनी फसलों की पैदावार बढ़ा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे जमीन की सेहत को कोई नुकसान होने की संभावना नहीं है। कृषि पदाधिकारी अमरजीत सिंह ने उर्वरक विक्रेताओं एवं डीलरों की दुकानों एवं गोदामों की जांच करते हुए निर्देश दिया कि किसानों को सही जानकारी देकर अपनी जिम्मेवारी निभायें, अनावश्यक भ्रम पैदा कर वैकल्पिक स्त्रोतों के संबंध में किसानों को गुमराह न करें। किसानों को चारा बेचते समय अन्य दवाइयों का टैग न लगाया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों ने अपनी भूमि के स्वास्थ्य में सुधार किया है और फसलों की पैदावार में वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि गेहूं की खेती के लिए फास्फोरस पोषक तत्व की आवश्यकता होती है, जिसके लिए किसान बुआई के समय डीएपी उर्वरक का प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि डीएपी उर्वरक के विकल्प के रूप में ट्रिपल सुपर फॉस्फेट उर्वरक, एनपीके, सिंगल सुपर फॉस्फेट और अन्य फॉस्फेटिक उर्वरकों का भी उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ट्रिपल सल्फर फॉस्फेट में डीएपी की तरह 46 प्रतिशत फॉस्फोरस की मात्रा होती है और इसकी कीमत 1300 रुपये प्रति बैग है जबकि डीएपी की कीमत 1350/रुपये प्रति बैग है। एनपीके को डीएपी के विकल्प के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा बाजार में उपलब्ध अन्य फॉस्फेटिक उर्वरकों का भी उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने उर्वरक विक्रेताओं को निर्देश दिये कि पीओएस मशीन में बिक्री किये गये उर्वरक का स्टॉक शून्य होना चाहिए तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि पीओएस मशीन एवं दुकान पर बिना बिके उर्वरक का स्टॉक लगातार बना रहे ताकि आवश्यकतानुसार भारत सरकार से डीएपी उर्वरक प्राप्त किया जा सके। उन्होंने समूह डीलरों को अपना लाइसेंस एवं अन्य आवश्यक कागजात पूर्ण करने तथा इसमें किसी भी प्रकार की गलती नहीं करने तथा प्रतिदिन स्टॉक बोर्ड पर उर्वरक का स्टॉक एवं दर लिखने का भी निर्देश दिया।