डीसी ने धर्मशाला में किया ब्रिगेडियर शेर जंग थापा पार्क का उद्घाटन
1 min readपर्यटन के साथ मिलेगा बलिदानी वीरों के शौर्य को जानने का अवसर
शिवालिक पत्रिका, धर्मशाला हिमाचल प्रदेश को देव भूमि होने के साथ-साथ वीर भूमि होने का भी सौभाग्य प्राप्त है। पर्यटन की दृष्टि से यहां आने वाले सैलानियों को क्षेत्र के बलिदानी वीरों की शौर्य गाथा से भी परिचित करवाना चाहिए। धर्मशाला के मैक्लोड़गंज मार्ग में स्थित ब्रिगेडियर शेर जंग थापा पार्क का उद्घाटन करते हुए उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने यह शब्द कहे। डीसी ने कहा कि हमारे लिए बड़े गौरव की बात है कि ‘हीरो ऑफ स्कर्दू’ नाम से विख्यात ब्रिगेडियर शेर जंग थापा का संबंध धर्मशाला से था। उन्होंने कहा कि ब्रिगेडियर शेर जंग थापा के नाम पर स्थापित इस पार्क को और अधिक गरिमापूर्ण बनाने के लिए ज़िला प्रशासन द्वारा इसका स्तरोन्नयन और सौंदर्यीकरण किया गया।
उन्होंने कहा कि 25 फ़रवरी को ब्रिगेडियर शेर जंग थापा की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य पर आज उन्होंने इस पार्क का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि इस पार्क से यहां आने वाले सैलानियों और स्थानीय लोगों को ब्रिगेडियर शेर जंग थापा की शौर्य गाथा के बारे में जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके साथ युवा पीढ़ी उनके बलिदान से प्रेरणा लेगी।
पर्यटन के साथ मिलेगी इतिहास की जानकारी
डीसी ने कहा कि प्रदेश सरकार जिला कांगड़ा को पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित करने के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन नये आयामों की ओर भी सोच रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रोजेक्ट इस दिशा में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिला कांगड़ा के वीरों को दो परमवीर चक्र के साथ सैंकड़ों वीरता पुरस्कार मिलने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने कहा कि इन बलिदानी वीरों के इतिहास और उनकी शौर्य गाथाओं को अंकित करने से पर्यटन के साथ इतिहास की जानकारी भी लोगों को मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में कार्य करते हुए इस पार्क का उद्घाटन किया गया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा युद्ध संग्रहालय धर्मशाला में भी भारत के युद्ध इतिहास और उससे संबंधित इतिहास की जानकारियां उपलब्ध करवायी गई हैं। उन्होंने कहा कि इनके माध्यम से जहां जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा वहीं लोग अपने बलिदानियों के इतिहास से परिचित हो पायेंगे।
कौन थे ब्रिगेडियर शेर जंग थापा
बता दें, 1947 में जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के आक्रमण के समय कांगड़ा के वीर मेजर सोमनाथ शर्मा के बलिदान के बाद उन्हें परमवीर चक्र से सुशोभित किया गया था। उसी समय कांगड़ा के एक अन्य वीर सकर्दू की पहाड़ियों पर पाकिस्तान को चुनौती देने का कार्य कर रहे थे। कांगड़ा के वे वीर धर्मशाला के ब्रिगेडियर शेर जंग थापा थे। पाकिस्तानी सेना से घिरे होने के बावजूद पाकिस्तान लगभग दस महीनों तक सकर्दू पर कब्जा नहीं कर पाया था। स्कर्दू आज पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर में है। ब्रिगेडियर शेर जंग थापा के नेतृत्व में सकर्दू पर अगस्त 1948 तक तिरंगा फैहराता रहा। अपने पास उपलब्ध भोजन और हथियार की आख़िरी रसद तक उन्होंने पाकिस्तान को स्कर्दू पर क़ब्ज़ा नहीं करने दिया। ब्रिगेडियर शेर जंग थापा को बाद में महावीर चक्र से नवाजा गया था।