December 21, 2025

भारत के हर जिले में डे केयर कैंसर सेंटर सही समय पर लिया गया कदम : विशेषज्ञ

भारत सरकार ने अगले तीन वर्षों में हर जिले में डे केयर कैंसर केंद्र खोलने की योजना बनाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक सही समय पर लिया गया कदम है। भारत में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 2015 से 2025 के बीच इसमें 27.7 प्रतिशत वृद्धि होने की संभावना है। ‘नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट’ 2020 के अनुसार, हर नौ में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कैंसर होने की आशंका रहती है।

भारत सरकार ने अगले तीन वर्षों में हर जिले में डे केयर कैंसर केंद्र खोलने की योजना बनाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक सही समय पर लिया गया कदम है।
भारत में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 2015 से 2025 के बीच इसमें 27.7 प्रतिशत वृद्धि होने की संभावना है। ‘नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट’ 2020 के अनुसार, हर नौ में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कैंसर होने की आशंका रहती है।

बजट में यह योजना खासतौर पर दूर-दराज के इलाकों में कैंसर के इलाज की सुविधा बढ़ाने के लिए बनाई गई है। ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर अशोक वर्मा के अनुसार, इससे स्वास्थ्य सेवाओं में एक महत्वपूर्ण कमी को पूरा किया जाएगा। सरकार 2025-26 तक 200 डेकेयर कैंसर केंद्र स्थापित करेगी।

इसके अलावा, बजट में 36 जीवनरक्षक दवाओं (मुख्य रूप से कैंसर और दुर्लभ बीमारियों के इलाज में उपयोगी) को उस सूची में जोड़ा गया है, जिन पर अब बेसिक कस्टम ड्यूटी (आयात शुल्क) नहीं लगेगी। छह और जीवनरक्षक दवाओं पर केवल 5 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगेगी।

प्रैक्सिस ग्लोबल एलायंस की गरिमा मल्होत्रा का कहना है कि मेडिकल शिक्षा में 10,000 नई सीटें जोड़ने और अगले पांच वर्षों में 75,000 सीटें बढ़ाने की योजना स्वास्थ्य सेवाओं में पेशेवरों की कमी को दूर करने में मदद करेगी।

उन्होंने कहा, हर जिले में डेकेयर कैंसर केंद्र खोलने से विशेष इलाज को अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सकेगा। इसके साथ ही, सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे में निवेश जारी रहने से स्वास्थ्य सेवाएं और सुलभ व किफायती होंगी, जिससे भारत अधिक स्वस्थ राष्ट्र बनेगा।”

सरकार द्वारा जीवनरक्षक दवाओं को सस्ता करने और दुर्लभ बीमारियों के इलाज में सहायता बढ़ाने का निर्णय सराहनीय है।

इसके अलावा, औद्योगिक उत्पादों पर कस्टम शुल्क में बदलाव और घरेलू दवा निर्माण को बढ़ावा देने के उपायों से भारत ‘दुनिया की फार्मेसी’ के रूप में अपनी स्थिति और मजबूत करेगा।

रिसर्च और विकास (आरएंडडी) के लिए 20,000 करोड़ रुपये के निवेश से नई दवाओं और जैव-प्रौद्योगिकी में उन्नति की गति तेज होगी, जिससे चिकित्सा क्षेत्र में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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