उपमंडल बंगाणा के कई गांव की फसल पीला रतुआ की चपेट में
1 min readअजय शर्मा, बंगाणा उपमंडल बंगाणा के कई गांव की फसल पीला रतुआ की चपेट में जानकारी के अनुसार उपमंडल बंगाणा के गांव गेहूं के पीले रतुआ के हानिकारक रोग की चपेट में आना शुरू हो गए हैं भलेत गांव के किसान सुमन प्रकाश का कहना है कि मैंने कृषि विभाग बंगाणा से बीज खरीदा था लेकिन अब यह फसल पीले रतुआ की रोक से प्रभावित हो गई है इतना महंगा बीज खाद डालने के बाद भी किसान को फायदा नहीं किसानों मे रणजोध, अजय कुमार, मनीष कुमार, शक्ति चंद, का कहना है की एक तो गेहूं की फसल पहले ही सूखे की चपेट में थी अब बारिश हुई है तो फसल को पीले रतुआ ने घेर लिया है कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पीला रतुआ सबसे हानिकारक और विनाशक रोगों में से एक है जो फसल की उपज में शत-प्रतिशत नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है अर्थात फसल की पैदावार नाममात्र हो जाती है किसानों ने प्रदेश सरकार से मांग की है की इस रोग से बचाव के लिए बढ़िया किसम के बीज किसानों को उपलब्ध कराए जाएं ताकि किसानों को इन हानिकारक और विनाशक बीमारियों से उनकी फसल का उपचार हो इनका यह कहना है कि देश एक कृषि प्रधान देश है अधिकतर लोग कृषि पर ही निर्भर है यही उनकी रोजी-रोटी का साधन होता है अतः सरकार को चाहिए कि इस नुकसान से उनको आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए क्या कहते हैं कृषि विज्ञान केंद्र उना के कीट वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार का कहना है कि यह फसल में पीला रतुआ मौसम की वजह से आता है मौसम में परिवर्तन होने से फसल को फंगस लगता है और फंगस की वजह से यह एक खेत से दूसरे खेत में जाता है अतः किसान भाई प्रॉपिकॉनाजोल या टेबुकोनाजोल एक पंप में 20ml का सप्रे कर सकते हैं जिससे इस रोग पर अंकुश लगाया जा सकता है उधर दूसरी तरफ कृषि अधिकारी बंगाणा सतपाल धीमान का कहना है कि इसके उपचार के लिए मौसम ही जिम्मेदार है बीज की वजह से यह रोग नहीं आता शाइन नाम की दवा हमारे कार्यालय में पहुंच गई है किसान इसका सपरे कर फसल को बचा सकते हैं