ओढ़ी लेया रजाई
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दिसंबर हुई गया खत्म,
हूण जनवरी री बारी आई,
नंवे साल री तूहां सारेयां जो,
मती सारी बधाई।
सुकिया ठंडा ने सबी री,
सुपरफास्ट रेल बनाई,
कईयां रे नक्कां ता,
कईयां रे गला री एनी हुई करदी सफाई।
नवें साला रियां नवियां गल्ला,
जश्न मनाना पूरी राती जो, बदिया बदिया तरीके ने,
हन्नी पाणा कोई हल्ला।
दिसंबरा री ठंड कने ऊपरा ते ओढ़नी रजाई,
सारे गिले शिकवे दूर करीने देने भुलाई।
दिसंबर हुई गया खत्म हूण जनवरी री बारी आई,
नवें साला च सबी नवीं नवीं मौज देनी लगाई।
किसी ने नीं रखना कोई बैर,
प्यारा प्यारा ने गला लेने सब लगाई,
धुंध बी बाउत ज्यादा पई करदी हूण,
चुपचाप दुबकी रहो मंजे पर लइने रजाई।
स्वरचित रचना
डॉक्टर जय महलवाल
ई –०१,
प्रोफेसर कॉलोनी
राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर हिमाचल प्रदेश
पिन 174001
संपर्क ९४१८३५३४६१
लेफ्टिनेंट (डॉक्टर) जय महलवाल
बिलासपुर ( हिमाचल प्रदेश)
