मानसून में जल जनित बीमारियों से बचाता है ताम्र जल
बारिश का मौसम सुहाना तो लगता है, पर साथ ही लाता है पानी से होने वाली बीमारियों का खतरा!क्या आप जानते हैं कि इस मौसम में आपको और आपके परिवार को सुरक्षित रखने का एक सदियों पुराना और असरदार तरीका आपके घर में ही मौजूद है?
आयुर्वेद का अमृत है ताम्र जल: आयुर्वेद में हज़ारों वर्षों से सुबह खाली पेट तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने की प्रथा, जिसे उषापान भी कहते हैं, को अत्यधिक महत्व दिया गया है। यह ताम्र जल त्रिदोष शामक (वात, पित्त, कफ को संतुलित करने वाला) माना जाता है। यह शरीर की सभी सूक्ष्म नलिकाओं की शुद्धि करता है, जिससे शरीर से विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राकृतिक रूप से मज़बूत होती है।
विज्ञान भी मानता है इसे सुपर वॉटर?: सिर्फ आयुर्वेद ही नहीं, आधुनिक विज्ञान भी तांबे के इन गुणों को स्वीकार करता है व इसे प्राकृतिक वॉटर प्यूरीफायर मानता है। तांबा एक शक्तिशाली एंटी-माइक्रोबियल धातु है। जब पानी इसमें 8 घंटे से ज़्यादा रहता है, तो यह अपने ओलिगोडायनामिक प्रभाव के कारण हानिकारक बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देता है। यह मानसून में पानी से होने वाले इन्फेक्शन जैसे डायरिया और पीलिया से बचाने में मददगार हो सकता है।
चमकती त्वचा का राज़: कॉपर, शरीर में मेलेनिन के उत्पादन के लिए ज़रूरी है, जो आपकी त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाता है। यह कोलेजन निर्माण में भी मदद करता है, जिससे त्वचा जवान और झुर्रियों से मुक्त रहती है।
थायरॉइड ग्रंथि का सहायक: शरीर में कॉपर का सही स्तर थायरॉइड ग्रंथि के सुचारू रूप से काम करने के लिए बेहद ज़रूरी है।
उपाय और विधि: इस अमृत को अपनी दिनचर्या में शामिल करना बेहद आसान है। रात को सोने से पहले एक शुद्ध तांबे के जग, लोटे या बोतल को अच्छी तरह साफ़ करके उसमें पीने का पानी भर दें। इसे ढककर कमरे के तापमान पर रात भर (कम से कम 6-8 घंटे) के लिए छोड़ दें। इस पानी को फ्रिज में न रखें। सुबह उठते ही, बिना कुछ खाए-पिए, खाली पेट इस पानी के एक से दो गिलास पिएं।
