दलाई लामा के उत्तराधिकारी मामले में चीन ने भारत को दी धमकी
नई दिल्ली, 6 जुलाई को तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा 90 वर्ष के हो जाएंगे और इससे पहले ही उनके उत्तराधिकार का विवाद नई चर्चा का विषय बन चुका है। चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि किसी भी भावी उत्तराधिकारी को उसकी मंजूरी लेनी होगी। वहीं, दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन के मामले में चीन भारत को धमकी देने पर उतारू हो गया है।
चीन ने भारत से तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर सावधानी से काम करने के लिए कहा है, ताकि द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर इसका असर न पड़े। चीन ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू की इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई है कि दलाई लामा को अपनी इच्छा के अनुसार चलना चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने रिजिजू की टिप्पणियों पर एक सवाल का जवाब देते हुए मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत को 14वें दलाई लामा की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति से स्पष्ट होना चाहिए और शिजांग (तिब्बत) से जुड़े मुद्दों पर अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए। चीन तिब्बत को शिजांग कहता है। माओ ने कहा कि भारत को अपने शब्दों और कार्यों में सावधानी बरतनी चाहिए, शिजांग से संबंधित मुद्दों पर चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए और चीन-भारत संबंधों के सुधार और विकास पर प्रभाव डालने से बचना चाहिए। रिजिजू ने कहा कि अगले दलाई लामा पर फैसला सिर्फ स्थापित संस्था और दलाई लामा लेंगे। उन्होंने कहा कि इस फैसले में कोई और शामिल नहीं होगा। यह दलाई लामा द्वारा अपने उत्तराधिकारी पर की गई टिप्पणियों पर भारत सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी की पहली प्रतिक्रिया थी। बुधवार को तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने कहा था कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी और केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट – जिसकी स्थापना 2015 में उनके कार्यालय द्वारा की गई थी – को ही उनके अगले दलाई लामा को मान्यता देने का अधिकार होगा।
माओ ने चीन के इस रुख को दोहराया कि दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म के पंचेन लामा के उत्तराधिकारी के लिए घरेलू खोज, ‘स्वर्ण कलश’ से निकाले गए लॉटरी और केंद्र सरकार की मंजूरी के अनुरूप कठोर धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं का पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान 14वें दलाई लामा इस प्रक्रिया से गुजरे थे और तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को उन सिद्धांतों को बनाए रखना चाहिए और धार्मिक अनुष्ठानों, ऐतिहासिक परंपराओं, चीनी कानून और नियमों का पालन करना चाहिए।
