भारत द्वारा के-9 वज्र टी स्वचालित आर्टलरी गन की खरीद से हिल गया चीन
1 min readनई दिल्ली: चीन की सेना सीमा पर एक नई साजिश रच रही है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक चीन करीब 10 लाख सुसाइड ड्रोन तैयार कर रहा है। आत्मघाती ड्रोन मतलब उड़ता हुआ बम जो चुपके से दुश्मन को तबाह करता है। आत्मघाती ड्रोन ने अपने अचूक हमले से रूस-यूक्रेन से लेकर अजरबैजान-आर्मेनिया तक की जंग में आपनी ताकत का लोहा मनवाया है। इस ऑर्डर से साफ हो गया है कि चीन आधुनिक युद्ध में इसका जमकर इस्तेमाल करने जा रहा है। चीन बड़े पैमाने पर युद्ध की तैयारी में जुटा हुआ है। हालांकि भारतीय सेना को स्वदेशी ड्रोन नागास्त्र वन का पहला बैच मिल गया है। ये हवा में मंडराते हुए अपने टारगेट पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। पाकिस्तान और चीन दोनों हथियारों की होड़ में लगे हैं। इसी बीच सरकार ने के-9 वज्र टी आर्टलरी गन को लेकर बड़ा फैसला किया है। ऊंचाई वाले इलाके में चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों को अब इंडियन आर्मी की तरफ से मुंहतोड़ जवाब देने की बारी है। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए 155 मिलिमीटर और 52 कैलिबर की क्षमता वाले के-9 वज्र टी स्वचालित आर्टलरी गन की खरीद के लिए करीब 10 हजार करोड़ का ऑर्डर प्लेस किया है। के-9 वज्र का मुंह दुश्मन की तरफ घूमा हो तो तबाही ही तबाही नजर आती है। अचूक निशाना और गोला लगते ही दुश्मन का पूरा इलाका धुंआ धुंआ हो जाता है। के-9 वज्र तो पहले से ही तैनात किया जा चुका है। नए तोपों के आने से सेना को और ताकत मिलेगी। आपको बता दें कि ये तोप अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। के-9 टी बेहद ऊंचाई वाले इलाकों में शून्य से नीचे के तापमान वाले इलाकों में भी हमला करने में सक्षम हैं। ये तो पहाड़ी और संकड़े रास्तों से भी दुश्मन पर हमला कर सकता है। के-9 वज्र टी के साथ सेना सटीकता के साथ लंबी दूरी तक हमला करने में सक्षम होगी। के-9 टी वज्र के ऑपरेशनल रेंज 360 किलोमीटर तक है, जो 18 से 54 किलोमीटर तक है। एक के-9 वज्र टी में 48 गोले स्टोर किए जा सकते हैं। आज की तारीख में 100 के-9 टी वज्र टैंक भारतीय सेना में शामिल हैं। आने वाले वक्त में 100 और तोपें आ सकती हैं।